झाड़ुख मे आदिवासी समन्वय समिति द्वारा सरहुल महोत्सव का किया आयोजन ,Sarhul Festival organized by Tribal Coordination Committee in Jhadukh
ईचागढ़ - सरायकेला खरसावां जिला के ईचागढ़ प्रखंड क्षेत्र के झाड़ुआ सिता नाला के पास आदिवासी समन्वय समिति ईचागढ़ द्वारा सरहुल महोत्सव का आयोजन धुमधाम से किया गया। सरहुल महोत्सव में रांची जिला के दो सरहुल नृत्य दलों ने भाग लेकर मनमोहक सरहुल नृत्य व झांकियां प्रस्तुत किया। भगवान बिरसा,सिद्धू कान्हु ,चांद भैरव के लड़ाई का बखुबी नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। ढोल ,धमसा व नगाड़े के गुंज पर मानों महिला पुरूषों ने बसंत ऋतु का सरहुल महोत्सव के रूप में नृत्य प्रस्तुत कर स्वागत में मदमस्त हो गया है। आदिवासी समाज द्वारा सखुआ फूल,डाली व पत्ते से आखड़ा बनाकर मारांगबुरू, सिंगाबोंगा , ग्राम देवता आदि का पुजा पाठ कर चेंगना यानी चुजे का बली प्रदान कर हांड़ीया का प्रसाद लगाकर नाया द्वारा विधि विधान से पूजा कर सरहुल महोत्सव मनाया गया। वहीं मुख्य अतिथि सारना समिति के केन्द्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि सुर्य और धरती का विवाह के रूप में सरहुल मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि इसके संबंध में कई कथा प्रचलित है। उन्होंने कहा कि हम प्रकृति वादी है और सखुआ फूल के बीना सरहुल नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरहुल एकता का प्रतीक है। मौके पर प्रमुख गुरू पद मार्डी, आदिवासी भुमीज समाज के अध्यक्ष हरिश्चन्द्र भुमीज , मुखिया प्रतिनिधि राम सिंह मुण्डा राजेन सिंह मुण्डा, लालदेव सिंह मुण्डा,, अभिराम उरांव, विश्वनाथ उरांव, देवेन्द्र बेसरा आदि उपस्थित थे।