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यादों का झरोखा : इक बंगला बने न्यारा | Window of memories: A bungalow becomes unique

✍मुकेश कबीर-विभूति फीचर्स

आज कोई निर्देशक शाहरुख के बेटे या सैफ की बेटी को थप्पड़ मार सकता है क्या ?लेकिन केदार शर्मा ऐसे निर्देशक थे जो राजकपूर और तनुजा जैसे स्टार किड्स को भी थप्पड़ मार देते थे और उनके पेरेंट्स चूं भी नहीं करते थे,क्या ज़माना था,क्या लोग थे। केदार शर्मा गीतकार,निर्देशक थे इतना ज्ञान और परफेक्शन था कि बड़े बड़े एक्टर उनके सेट पर होमवर्क करके आते थे,एक बार सुपर स्टार मोतीलाल ने कहा कि मुझे आज जल्दी जाना है तो शर्मा जी ने कहा सिर्फ एक शॉट है करके चले जाओ फिर केदार शर्मा ने सीन करके दिखा दिया और जब मोतीलाल ने शॉट दिया तो शर्मा जी ने भी ओके कर दिया लेकिन मोतीलाल ने कहा कि जैसा आपने किया वैसा तो हुआ नहीं,एक शॉट और लेते हैं, और मोतीलाल जैसे मंझे हुए एक्टर को सारा दिन हो गया,पच्चीस रीटेक के बाद वैसा एक्ट कर सके,यह थे केदार शर्मा।

तनुजा नई हीरोइन हुई तब उनकी मां का सिक्का चलता था लेकिन एक शॉट को ठीक से नहीं किया और समझाने के बाद भी एटिट्यूड दिखाया तब शर्मा जी ने जड़ दिया तमाचा, रोते हुए मां शोभना समर्थ से शिकायत कर दी लेकिन केदार शर्मा का नाम सुनते ही मां ने तनुजा को दो थप्पड़ और दिए,यह थे केदार शर्मा।उनका गीत बड़ा मशहूर हुआ इक बंगला बने न्यारा, बहुत सी हिट फिल्में बनाई बावरे नैन,चित्रलेखा।चित्रलेखा को देखकर लगता है कि राजकपूर पर केदार जी का कितना स्पष्ट प्रभाव था, राजकपूर के वो गुरु थे, उनको भी थप्पड़ दिया था,आगे चलकर राजकपूर इतने बड़े स्टार  हुए कि उनके नाम का अवॉर्ड शुरू हो गया,और पहला राजकपूर अवॉर्ड घोषित हुआ केदार शर्मा को लेकिन अवॉर्ड लेने से पहले ही केदार जी दुनिया से चले गए, आज ही के दिन।उनका ही गीत था, कभी तनहाईयों में ,हमारी याद आएगी..(विभूति फीचर्स) 
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