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प्रशांत किशोर बनाएंगे सियासी दल, प्रशांत किशोर की नई पहल: जन सुराज

NEWS DESK : हाल ही में, चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने "जन सुराज" नामक सियासी दल बनाने का निर्णय लिया है। यह खबर आते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। प्रशांत किशोर का यह कदम न केवल उनके समर्थकों के बीच चर्चा का विषय बना है, बल्कि देश के राजनीतिक परिदृश्य में भी एक नई दिशा की ओर इशारा कर रहा है।

क्या है जन सुराज?

जन सुराज प्रशांत किशोर की अगुवाई में एक नई राजनीतिक पार्टी है, जिसका उद्देश्य भारतीय राजनीति में नया और सकारात्मक बदलाव लाना है। प्रशांत किशोर, जो विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए रणनीति बना चुके हैं और कई चुनावी जीत दिला चुके हैं, अब खुद एक राजनीतिक पार्टी के नेतृत्व में कदम रख रहे हैं।

कौन बना सकता है राजनीतिक दल?

भारत के संविधान के तहत, देश का प्रत्येक नागरिक एक राजनीतिक दल बनाने और चुनाव लड़ने का अधिकार रखता है। यह अधिकार भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है, जहां कोई भी व्यक्ति अपने विचारों और सिद्धांतों को जन समर्थन के माध्यम से आगे बढ़ा सकता है। वर्तमान में, देश में लगभग 3,000 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल हैं। इनमें से अधिकतर दल चुनाव नहीं लड़ते, लेकिन पंजीकृत हैं।


आइये जानते हैं कि भारत में कोई व्यक्ति राजनीतिक दल कैसे बना सकता है और राजनीतिक दलों को क्या सुविधाएं मिलती हैं...

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने निष्क्रिय राजनीतिक दलों पर कसा शिकंजा, कई दल हुए डी लिस्ट


भारत में राजनीतिक दल बनाना अब और भी आसान हो गया है। हाल ही में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जन सुराज को एक सियासी दल के रूप में पंजीकृत करने की घोषणा की है। इस खबर के बाद देशभर में कई लोग राजनीतिक दल बनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। भारत में राजनीतिक दल बनाने की प्रक्रिया सरल है और इसके लिए कुछ खास कदम उठाने होते हैं। 

कैसे बनता है राजनीतिक दल?

लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 के तहत राजनीतिक दल का गठन होता है। इसके लिए इच्छुक व्यक्ति को चुनाव आयोग के पास पंजीकरण कराना होता है। पंजीकरण के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरना होता है और इसे आवश्यक दस्तावेजों के साथ 30 दिन के अंदर चुनाव आयोग को भेजना होता है। इसके लिए 10 हजार रुपये का शुल्क भी जमा करना पड़ता है। 

पार्टी का संविधान और नाम

राजनीतिक दल बनाने से पहले पार्टी का संविधान तैयार करना आवश्यक है। इसमें पार्टी का नाम, काम करने का तरीका, अध्यक्ष का चुनाव और प्रमुख पदाधिकारियों की जानकारी शामिल होती है। पार्टी का नाम तय करना भी महत्वपूर्ण है और इसका निर्णय चुनाव आयोग करता है। आयोग पहले से मौजूद किसी अन्य पार्टी के नाम के समानता को ध्यान में रखता है और आवश्यक होने पर नया नाम सुझाता है।

पंजीकृत राजनीतिक दलों को मिलने वाली सुविधाएं

पंजीकृत राजनीतिक दल को चुनाव चिन्ह आवंटन में प्राथमिकता मिलती है। इन्हें राज्य या राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी मिल सकता है, बशर्ते वे चुनाव आयोग के मानकों को पूरा करें। ऐसे दल चंदा प्राप्त कर सकते हैं और इस पर उन्हें कोई इनकम टैक्स नहीं देना होता। चंदा देने वाले व्यक्ति को भी 100 प्रतिशत टैक्स छूट मिलती है।

 राजनीतिक दलों के दुरुपयोग के आरोप

मौजूदा नियमों के अनुसार, एक बार पंजीकृत हो जाने के बाद राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द नहीं किया जा सकता है। इसके कारण हजारों की संख्या में निष्क्रिय राजनीतिक दल चंदा लेते रहते हैं, जिस पर उन्हें कोई टैक्स नहीं देना पड़ता। 20,000 रुपये से कम चंदे के स्रोत का खुलासा नहीं करना पड़ता, जिससे कई निष्क्रिय दल इसका फायदा उठाते हैं। ऐसे आरोप भी हैं कि इन दलों का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग में किया जा रहा है।

 चुनाव आयोग की कार्रवाई

चुनाव आयोग ने लंबे समय से निष्क्रिय राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। आयोग ने ऐसे दलों को डी लिस्ट करना शुरू किया है जो लंबे समय से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। डी लिस्ट किए गए राजनीतिक दल चुनाव नहीं लड़ सकते और इनकम टैक्स छूट के पात्र भी नहीं रह जाते। 

पूर्व चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा है कि चुनाव आयोग के पास राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने की शक्तियां नहीं हैं, लेकिन निष्क्रिय दलों को डी लिस्ट कर सकता है। आयोग इस दिशा में अभियान चला रहा है और निष्क्रिय दलों को डी लिस्ट कर रहा है।

 निष्कर्ष :

भारत में राजनीतिक दल बनाना अब आसान है और इसके लिए सरल प्रक्रिया है। हालांकि, पंजीकृत दलों द्वारा नियमों के दुरुपयोग के मामले भी सामने आए हैं। चुनाव आयोग ने निष्क्रिय दलों पर शिकंजा कसते हुए उन्हें डी लिस्ट करना शुरू किया है, जिससे राजनीतिक प्रणाली में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ेगी। 
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