व्यंग्य : जमानत में खयानत

✍️पंकज शर्मा तरुण - विनायक फीचर्स

कट्टर ईमानदार एक मात्र नेता पिछले कई दिनों से तिहाड़ जेल में सरकारी मेहमान बन कर राज्य की सरकार चला रहे हैं। लोकतंत्र के इस अनोखे अंदाज को भी इन्होंने ही खोजा है। इसलिए इनका नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। लोकसभा चुनाव के प्रचार में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए न्यायालय ने इनको कुछ शर्तों पर जमानत दी थी और यह बाहर आते ही अपने झांझ मंजीरे ले कर अपनी कट्टर ईमानदारी का राग अलापते दिल्ली से पंजाब तक अपने ईमानदार साथियों के साथ गली-गली घूमते रहे। उस जमानती एग्रीमेंट की वेलिडिटी दो जून तक ही थी सो दो जून की रोटी फिर बे मन से तिहाड़ की जेल में ही खानी पड़ी।अब इसके बाद बीस जून को फिर निचली अदालत ने दया करके जमानत दे दी। सुनते ही पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया । बड़ी-बड़ी डींगे मार कर केंद्र की सरकारी पार्टी को पानी पी-पी कर कोसते नजर आए। भोजपुरी गायक माननीय सांसद बने नेताजी भी अपने राग दरबारी सुनाने लगे।

नतीजा सबके सामने है दिल्ली हाईकोर्ट में ई डी पहुंच गई जमानत पर रोक लगवाने और सफल भी हो गई। दिल्ली वालों को पानी के लिए तरसाने वालों को जेल में फिर से सात दिन और रहना पड़ेगा। ई डी की मजबूत दलीलों ने न्यायालय को बाध्य कर दिया। बेचारे केजरीवाल जी को जमानत में खयानात। मिल रही है। दो कट्टर ईमानदार। पिछले एक साल और दो साल से भी अधिक से तिहाड़ में कट्टर ईमानदार होने की सजा भोग रहे हैं। जमानत ही नहीं मिल रही है। सस्ती दारू पिलाने की सजा शायद यही होना चाहिए। कहने को इन्होंने सरकारी स्कूलों को प्रायवेट स्कूलों से भी बेहतरीन बनाया था। जिसकी प्रशंसा अमेरिका के एक विख्यात अखबार द्वारा की गई । जैन साहब ने तो मोहल्ला क्लीनिक खोल कर दिल्ली वासियों को फ्री इलाज, फ्री बिजली दे दी थी।

यूं तो फ्री वाई फाई की सुविधा, सी सी टी वी और सीटी बसों में महिलाओं को फ्री यात्रा की सौगात दी फिर भी धरम करते करम फूट गए। पिछले चुनावों में तो नेताजी ने ऑटो वालों और अन्य आम आदमियों से खुद को थप्पड़ भी लगवाए और उसके परिणाम भी इनके पक्ष में आए थे इस बार दारू की एक बोतल पर एक फ्री देने के बाद भी इनको थप्पड़ न लगवाना नुकसान दे गया।

ई डी वाले न जाने क्यों इन बेचारे कट्टर ईमानदारों के पीछे पड़ गए हैं ।जीना हराम कर दिया है।अब देखो न बिचारी आतिशी को पानी सत्याग्रह पर बैठना पड़ रहा है। नेताओं की आपसी लड़ाई में दिल्ली वासियों को पानी की बूंद बूंद को तरसाया जा रहा है। आप के विरोधी कहें या पानी माफिया दोनों पर रास्ते में पाइप लाइन फोड़ कर पानी की चोरी? और वो कह रहे हैं कि दिल्ली सरकार टैंकर माफिया से पानी बेच कर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। कौन सच्चा है कौन झूठा यह तो वहां की जनता ही बता सकती है या भगवान जानता है।कुल मिला कर दिल्ली वासी अपनी फजीहत पर हतप्रभ है। कह रहे हैं कहां फंस गए यार। यक्ष प्रश्न तो यह है कि इसका अंत कहां जाकर होगा? जमानत में तो खयानत हो ही गई है।
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