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Singhbhum Election Result : सिंहभूम की सियासत में आयरन लेडी के रूप में स्थापित हुईं जोबा माझी

पति देवेंद्र माझी की हत्या के बाद राजनीति में किया था प्रवेश, मनोहरपुर से पांच बार विधायक और मंत्री रहने के बाद सिंहभूम की दूसरी महिला सांसद बनी


Singhbhum Election Result : 14 अक्टूबर 1994 को गोइलकेरा हाट में जब चक्रधरपुर और मनोहरपुर के विधायक रह चुके जल, जंगल व जमीन आंदोलन के प्रणेता देवेंद्र माझी की हत्या हुई थी तो किसी ने नहीं सोचा था कि उनकी पत्नी जोबा माझी न केवल अपने पति के सपनों को साकार करने में सफल होगी बल्कि राजनीति में स्वयं को स्थापित करते हुए सिंहभूम की आयरन लेडी बन जाएगी। मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र से पांच टर्म विधायक और छह बार कैबिनेट मंत्री का पद संभालने के बाद अब जोबा माझी सिंहभूम की दूसरी महिला सांसद भी बन गई हैं। राजनीति की शिखर तक पहुंचने के लिए जोबा माझी ने जो संघर्ष किया वह सियासत में महिलाओं की सशक्त भागीदारी की मिसाल है। साल 1995 में अविभाजित बिहार में जोबा माझी पहली बार मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनीं गई थीं। इसके बाद उन्होनें पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे बिहार में राबड़ी देवी सरकार में मंत्री बनाई गईं। झारखंड गठन के बाद बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा, शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन सरकार में भी उन्हें काबीना मंत्री बनाया गया। उनकी पहचान निर्विवाद और बेदाग छवि के नेता के रूप में रही है।

सादगी और सरल स्वभाव है जोबा की पहचान

जोबा माझी की सादगी का पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि पति देवेंद्र माझी के विधायक रहते वह चक्रधरपुर के इतवारी बाजार में सब्जी बेचा करती थी। आज भी राजनीति के शिखर पर पहुंचने और तमाम व्यस्तता के बीच समय निकाल कर वे न केवल घरों का काम करती हैं, बल्कि अपने खेतों में भी एक आम किसान की तरह खेती-बाड़ी का  करते देखी जाती हैं। आम जीवन में सादगी और लोगों के साथ मुलाकात के दौरान सरलता से पेश आना ही उसकी असली पहचान बन चुकी है।

जोबा की जीत में बड़े पुत्र जगत मांझी का रहा खास योगदान

विधायक जोबा माझी के राजनीतिक जीवन का यह सातवां चुनाव था। लेकिन पहली बार लोकसभा चुनाव का सामना कर रही जोबा माझी के लिए उनके बड़े पुत्र जगत माझी ने अच्छा योगदान दिया। जोबा माझी के चुनाव प्रचार में व्यस्त होने के कारण पुत्र जगत माझी ने पूरे इलेक्शन मैनेजमेंट की कमान अपने हाथों में ले रखा था। इसमें वह सफल भी रहे। बूथ मैनेजमेंट से लेकर सभी प्रखंडों में कार्यालय खोलने, स्टार प्रचारकों के कार्यक्रम को सफल बनाने, नामांकन और रैलियों में भीड़ जुटाने से लेकर कार्यकर्ता और समर्थकों की जरूरतों को पूरा करने में अपनी परिपक्वता साबित कर उन्होंने उत्तराधिकारी होने का दावेदारी भी प्रस्तुत कर दिया है। वैसे जगत से छोटे उदय माझी और बबलू माझी ने भी लगातार क्षेत्रों में प्रचार कर अपनी मां के कैम्पेनिंग को मजबूती प्रदान की।
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