पारम्परिक खेती व देशी गौ पालन पर दिया गया प्रशिक्षण | Training given on traditional farming and indigenous cow rearing
ईचागढ़ - सरायकेला-खरसावां जिला के ईचागढ़ प्रखंड क्षेत्र के टीकर पंचगव्य चिकित्सालय परिसर में पारम्परिक खेती व गौ पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। किसानों को गाय पर आधारित प्राकृतिक खेती, देशी बीज, गोबर व जैविक खाद पर आधारित खेती करने का गुर सीखाया गया। रसायनिक खेती का वर्जन व पारम्परिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गौ पालन की आवश्यकता पर जोर दिया गया। गुणवत्ता पूर्ण खाद्य पदार्थों का पूनर स्थापित कर लोगों को रोग से बचाव के लिए प्रशिक्षण दिया गया।
किसानों को रसायनिक खेती से हो रहा विभिन्न रोगों व जमीन का क्षति आदि के संबंध में प्रशिक्षक दिया गया। वहीं प्रशिक्षक विरसा कृषि विश्वविद्यालय के सिद्धार्थ जयसवाल व पंचगव्य एक्सपर्ट मदन कुशवाहा ने किसानों को पारम्परिक खेती व गौ पालन के फायदे व रसायनिक खेती व हाइब्रिड बीज से हो रहे नुकसानों के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि अत्यधिक रसायनिक खाद व कीटनाशक के प्रयोग से खेतों को काफी नुकसान हो रहा है। रसायनिक खाद्य पदार्थों का सेवन से विभिन्न प्रकार का लोगों में रोग देखने को मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज पारम्परिक और गाय पर आधारित खेती करते थे, जिससे स्वस्थ रहते थे। उन्होंने कहा कि आज खान पान के चलते लोग रोगग्रस्त हो रहे हैं और जीवन काल छोटा होते जा रहा है। पर्यावरण विषाक्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खान पान और रहन सहन से ही हम निरोग रह सकते हैं और रसायनिक खेती का वर्जन कर पारम्परिक व जैविक खेती को अपनाना समय का मांग है। कहा कि किसानों को प्रशिक्षण के साथ ही साथ जागरूक करने की भी जरूरत है।
उन्होंने कहा कि देशी गाय का गोबर एवं पेशाब से जहां खेतों का पोषक तत्व बरकरार रहता है,नमी बनी रहती है, वहीं दूसरी ओर गाय क गोबर, पेशाब,दुध,घी,छाछ , मक्खन दही आदि से स्वास्थ्य लाभ मिलता है। पंचगव्य चिकित्सा से कैंसर तक ठीक हो सकता है। उन्होंने कहा कि देशी धान व चावल से किसानों का दुगुना हो सकता है। मौके पर प्रखंड प्रमुख गुरूपद मार्डी,डा0 अनिरूद्ध प्रसाद,ललित मोहन घोष, गौरी शंकर वर्मा, छुटु घोष,उमा देवी, बरूण कुमार माझी सहित काफी संख्या में किसान उपस्थित थे।