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आदिवासी उरांव समाज संघ चाईबासा का 77वाँ स्थापना दिवस समारोह हर्षोल्लास के साथ संपन्न,मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री ने समाज को सामुदायिक भवन देने की की घोषणा

Chakradharpur : आदिवासी उरांव समाज संघ चाईबासा का 77वाँ स्थापना दिवस समारोह हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । इस भव्य कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड सरकार के अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं परिवहन मंत्री दीपक बिरुवा, विशिष्ट अतिथि के रूप में अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर चाईबासा राहुल देव बड़ाईक, वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी शंकर भगत, राजकुमार ओझा, इम्तियाज़ खान, छोटेलाल तामसोय, सुभाष बनर्जी आदि उपस्थित हुए। शहर चाईबासा के पिल्लई टाउन हॉल में आयोजित यह कार्यक्रम अतिथियों एवं समाज के पदाधिकारी के द्वारा दीप प्रज्वलित कर एवं संघ के संस्थापकों के चित्र पर पुष्प अर्पित कर इस भव्य कार्यक्रम की शुरुआत की गई। कार्यक्रम में मुख्य रूप से समाज से जुड़े सातों अखाड़ा के मैट्रिक एवं इंटर 2024 के परीक्षा में उत्तीर्ण हुए छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।


 इसके साथ ही साथ संघ द्वारा आयोजित टैलेंट हैंड (प्रतिभा खोज प्रतियोगिता) में चयनित छात्र-छात्राओं को नगद पुरस्कार प्रमाण पत्र के साथ सम्मानित किया गया एवं उरांव समाज रक्तदान समूह से जुड़े सक्रिय सदस्यों, जो 24 घंटा अपना रक्त का दान करने हेतु तैयार रहते हैं, उन सभी रक्त दाताओं (महिला पुरुष) को प्रमाण पत्र पुरस्कार पुष्पगुच्छ आदि देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उन सभी सरकारी नौकरी पाने वाले लोगों को भी सम्मानित किया गया एवं जो सेवानिर्वित हो चुके हैं उनको भी सम्मानित कर आगे की उज्जवल भविष्य की कामना की गई। स्थापना दिवस के इस कार्यक्रम में समाज से जुड़े उत्कृष्ट कार्य करने वाले महान व्यक्तित्व के मालिक शिक्षा के क्षेत्र में लाइब्रेरीमेन से विख्यात संजय कच्छप, मरीज को रक्त की कमी न हो, जिसके लिए 24 घंटा तत्पर रहने वाले उरांव समाज रक्तदान समूह के मुख्य संचालक ब्लडमेन लालू कुजूर एवं असहाय गरीब बुजुर्गों को अपनी सेवा प्रदान करने को लेकर विख्यात लक्ष्मी बरहा को शॉल, स्मृति चिन्ह, प्रमाण पत्र, पुष्पगुच्छ आदि देखकर सम्मानित किया गया। 

विदित हो कि इस कार्यक्रम में संघ के अध्यक्ष संचू तिर्की अपने स्वागत भाषण में कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का स्वागत किया, इसके साथ ही उन्होंने वर्तमान संघ की स्थिति से आम जनमानस को अवगत कराया। कार्यक्रम में संघ के मुख्य सलाहकार सहदेव किस्पोट्टा ने संघ की के इतिहास का जिक्र करते हुए बताया कि 1948 में समाज को जोड़ने एवं सशक्त बनाने हेतु एक संविधान का निर्माण किया गया था। जिसमें शादी विवाह, पर्व त्यौहार, शिक्षा और आपसी मेल मिलाप को बनाए रखने हेतु समाज के हर एक नागरिक का दायित्व बनता है, जिसकी चर्चा की गई। मौके पर मंत्री दीपक बिरुवा ने कहा कि हम आदिवासियों का स्वभाव सरल एवं सहृदय होते हैं, प्रकृति एवं संस्कृति से हमारा गहरा नाता होता है। 

हमारी संस्कृति में झलकती सरलता एवं स्वभाव ही हमारी पहचान है। आज भी हम अपने पूर्वजों के बताएं मार्गों पर चलकर विकसित होते जा रहे हैं। अपनी संस्कृति को सबसे अलग बनाए रखे हैं, यही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। समाज की एकजुट एवं सहयोग की भावना को देखकर काफी प्रसन्नता होती है। आगे उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज आज भी काफी पीछे है, इस पर हमें काफी मेहनत करने की आवश्यकता है, समाज के मुख्य धाराओं में सब को जोड़ना होगा। इस मौके पर उन्होंने उरांव समाज के लिए सामुदायिक भवन देने की घोषणा की। आज के इस समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ने कहा कि मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है कि मैं इस तरह के कार्यक्रम में शामिल हुआ हूं। 

मैं आज के इस कार्यक्रम के माध्यम से समाज के युवाओं को विशेष रूप से सचेत करना चाहूंगा कि वे नशापान से दूर रहे। आज जिस तरह से लोग नशा ड्रग्स आदि ले रहे हैं, यह हमारे सामाजिक, आर्थिक और शारीरिक रूप से काफी नुकसानदेह है। उन्होंने आगे कहा कि मेरा हमेशा से प्रयास रहा है कि मैं आदिवासी समाज के हर तरह के सहयोग के लिए तत्पर रहूं। मुझे बहुत खुशी होती है कि आज हमारे उरांव समाज में लाइब्रेरीमेन, ब्लडमेन, समाजसेवी के रूप में आज पूरे देश में विख्यात हो रहे हैं। मुझे आशा ही नहीं बल्कि विश्वास है कि आप जैसे महान विभूतियों से प्रेरणा लेते हुए समाज के और भी हमारे भाई बंधु आगे बढ़ेंगे और समाज, परिवार, देश, राज्य का नाम रोशन करेंगे। 

स्थापना दिवस के इस रंग समझ में विभिन्न अखाड़ों से बच्चों के द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में मनमोहक नृत्य हुए। स्थापना दिवस को सफल बनाने में मानमोहन उरांव, नोन्दे उरांव, महेश उरांव, गहनू उरांव,मंगला उरांव, बासुदेव खलखो,बासु कुजूर,बिक्रम भगत, प्रदीप लकड़ा, रंजीत उरांव, बबलू लकड़ा, मनोज कोया, शंकर टोप्पो, बिमल कोया,राजकमल लकड़ा, गणेश कच्छप,रोहित खलखो, सुमित बारह, किशन बरहा, रोहित लकड़ा, चन्दन कच्छप, ईशु टोप्पो, पंकज खलखो, संजय नीमा, बिक्रम खलखो, विजयलक्ष्मी लकड़ा, लक्ष्मी कच्छप, लक्ष्मी बरहा, निर्मला लकड़ा, मालती लकड़ा, किरण नुनिया, लक्ष्मी खलखो, सावित्री कच्छप, तीजो तिर्की आदि पुस्तकालय के छात्र- छात्राएं का विशेष सहयोग रहा।
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