सरस्वती विद्या मंदिर, सिनीडीह में संस्कृति ज्ञान ‌- महा अभियान पखवाड़ा आरंभ


"भारतीय संस्कृति आध्यात्मिकता एवं भौतिकता का अद्भुत समन्वय है-अजय कुमार पांडेय
मधुबन थाना क्षेत्र आज दिनांक 15 जुलाई 2024 को अपने विद्यालय सरस्वती विद्या मंदिर, सिनीडीह में संस्कृति ज्ञान महा अभियान पखवाड़ा का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर वंदना स्थल पर मुख्य अतिथि अजय कुमार पांडेय, विशिष्ट अतिथि विशु रवानी, संघचालक, धनबाद महानगर, समाजसेवी विनोद सिंह, विद्यालय के कोषाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद, विद्यालय समिति के सदस्य उत्तम गायली एवं विद्यालय के प्राचार्य राकेश सिन्हा ने सम्मिलित रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि श्री अजय कुमार पांडेय ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारत में भारतीय संस्कृति की अलख जगाना तथा विश्व में भारतीय संस्कृति की विशेषताओं को बताना है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक धरोहर के रूप में हमारे वेद,पुराण, महाभारत, रामायण, रामचरितमानस के साथ-साथ हमारे पुराने रीति रिवाज भी हैं जो हमें हमारी विशिष्ट संस्कृति से अवगत कराती हैं। सनातन संस्कृति ही विश्व को नया ज्ञान एवं नई दृष्टि दे सकता है। कई विदेशी आक्रांताओं ने भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास कियापरंतु वे अपने इस कुत्र्शित उद्देश्य में सफल नहीं हो सके क्योंकि भारतीय संस्कृति आध्यात्मिकता एवं भौतिकता का अद्भुत समन्वय है।

अपने उद्बोधन में धनबाद महानगर संघचालक श्री विधु रवानी ने कहा कि आज का यह कार्यक्रम जो 31 जुलाई तक चलेगा, इसकी बहुत बड़ी विशेषता है। विद्यालय के भैया- बहनों को अपनी संस्कृति और सभ्यता को जानना होगा। पूर्वजों के द्वारा जो रीति -रिवाज समाज में प्रचलित थे से उसे जानना होगा तभी हम भारतवर्ष को पुनः सिरमौर बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे वेद, पुराण आदि धर्म ग्रंथ इस बात के प्रमाण है कि यदि संसार में आज सभ्यता संस्कृति विकसित हुई, शिक्षा का व्यापक प्रचार -प्रसार हुआ, तो वह भी भारतवर्ष की ही देनहै।
इस कार्यक्रम की प्रस्तावना पर अपने विचार रखते हुए विद्यालय के आचार्य अनूप कुमार पांडेय ने कहा कि विश्व के प्राय: सभी देशों में धर्म , संस्कृति एवं अपनी राष्ट्रीयता का ज्ञान छात्रों को करना शिक्षा कार्यक्रम का महत्वपूर्ण अंग है, परंतु दुर्भाग्य वस धर्म -भूमि भारत में धर्म संस्कृति की शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। पराधीनता के काल में भी हमें अपने गौरवशाली इतिहास को लोगों के बीच बताने की आवश्यकता महसूस हुई थी। भारतीय संस्कृति की महत्वपूर्ण विशेषता है कि यह आज भी अपने मूल रूप में जीवित है, जबकि, असीरिया, यूनान, रोम की संस्कृतियां अपने मूल स्वरूप से विस्मृत हो रही है। विद्या भारती के माध्यम से हम अपने भैया-बहनों तथा अभिभावकों के बीच अपनी संस्कृति के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य प्रतिवर्ष करते हैं।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए विद्यालय के प्राचार्य राकेश सिन्हा ने कहा कि यह कार्यक्रम 16 जुलाई से प्रारंभ होकर 31 जुलाई को संपन्न होगा। इस बीच पूरे विद्या भारती के विद्यालयों में इस कार्यक्रम को प्रतिदिन विद्यालय की वंदना सभा में भिन्न-भिन्न रूपों में प्रदर्शित एवं प्रचारित किया जाएगा। विद्या भारती का मूल उद्देश्य भारतवर्ष में भारतीय संस्कृति की विशालता, भारतीय संस्कृति की विशेषता एवं इसकी आवश्यकता पर बोल देना है ताकि हमारे अंदर राष्ट्रीयता का भाव जगे और पुनः भारतवर्ष विश्व गुरु के सिंहासन पर आरूढ़ हो सके। अतिथि परिचय का कार्य विद्यालय के आचार्य जितेंद्र कुमार दुबे ने किया।कार्यक्रम का मंच संचालन विद्यालय की वरिष्ठ आचार्या निशा तिवारी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के आचार्य अशोक कुमार सिंह सुधीर कुमार दास अजय कुमार पांडेय नवल किशोर झा जितेंद्र कुमार दुबे पीयूष बेरा मानिक सेन विकास गुप्ता, सुलेखा कुमारी के साथ-साथ सभी आचार्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
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