पुलिस बल के सहारे हो रही है सरकारी जमीन पर कब्जा, हो सच्चाई की निष्पक्ष जांच। भूमी सुधार उप समाहर्ता, धालभूम से कि गई शिकायत
ज्ञात रहे पोटका प्रखंड के आसनबनी पंचायत स्थित मौजा - तिलामुड़ा, थाना नं.- 1263,खाता नं.- 298,प्लॉट नं.- 1331, रकवा - 22.75 एकड़, के जमीन जो 1964 के सर्वे सेटलमेंट के आधार पर स्पष्ट सरकारी पड़ती भूमी दर्ज है। जिसे कृषि योग्य जमीन बनाकर वंहा के गरीब आदिवासीयों ने वर्षों पूर्व अपने पूर्वजों के समय से खेती करके आ रहे है तथा अपने पेट पाल रहे हैं। ऐसे में धूमकेतु के जैसा अचानक एक बाहरी सक्स मधु घोष,निवास - खसमहल, थाना - परसुडीह, जमशेदपुर, ये कह कर की - "1932 में ये जमीन हमारा था गलत सेटलमेंट के कारण 1964 में इसे सरकारी दिखाया गया है, हमने कोर्ट से डिग्री ले ली है"- पुलिस बल के साथ उक्त जमीन को कब्जा करने पंहुचता है तथा वर्षों से खेती करने वाले गरीब ग्रामीणों के ऊपर जबरजस्ती करता है।
बीते कल उक्त जमीन पर वर्षों से खेती करने वाले विष्णु पद सिंह एवं उनके भाइयों ने मिलकर भूमी सुधार उप समाहर्ता, धालभूम, जमशेदपुर, के समक्ष विषय की निष्पक्ष जांच तथा तत्काल प्रभाव से उक्त विवादित जमीन पर किसी प्रकार की अतिक्रमण या निर्माण कार्य को अविलंब रोके जाने की अनुरोध कि गई है।
पूर्व जिला पार्षद करुणा मय मंडल बोले अब सवाल ये उठती है की --
1) क्या पुलिस को न्यायालय द्वारा ऐसी कोई निर्देश प्राप्त हुई है की उक्त जमीन को संबंधित व्यक्ति को कब्जा दिलवाया जाय जो वर्षों से दूसरों के कब्जे में है ?
2) क्या मधु घोष नामक व्यक्ति 1932 में उक्त गांव के बसिंदा थे ? यंहा कोई मकान/सहन था ? या उक्त विशाल भू खंड को खरीदा था ?
3) 1908 के नक्से में भी ये जमीन सरकारी दर्ज है तो क्या इतनी बड़ी भूखंड को किसी बाहरी व्यक्ति (दूसरे प्रखंड के) नाम से बंदवस्ती दिया जाना नियमानुकूल है ?
4) अगर सरकार के साथ उक्त जमीन के केस में डिग्री मिली है तो क्या जमीन का लगान भी तय हो चुकी है या कटी गई है ?
5) जमीन संबंधित विषयों में बिना अंचलाधिकारी या उच्चाधिकारी या न्यायालय के स्पष्ट निर्देश से पुलिस की ये अत्यधिक दिलचस्पी का वजह क्या है ?
ग्रामीणों के द्वारा बीते कल अपने पूर्व जिला पार्षद करुणा मय मंडल के साथ भूमी सुधार उप समाहर्ता धालभूम जमशेदपुर के समक्ष लिखित शिकायत करते हुए अविलंब निष्पक्ष जांच एवं न्याय की मांग कि गई।
यंहा पूर्व पार्षद के साथ विष्णु पद सिंह, देवेन सिंह, बबलू सिंह, रतन गोप, कार्तिक सिंह एवं मुनीराम बास्के आदि मौजूद थे।