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अवैध धंधों और नशे के खिलाफ अभियान तो जुए के अड्डों‌ पर खामोशी क्यों?

लॉटरी,मटका और हब्बा-डब्बा को खुली छूट 

जमशेदपुर: एक तरफ झारखंड पुलिस अवैध धंधों और नशाखोरी पर लगाम लगाने के लिए लगातार अभियान चला रही है लेकिन वही दूसरी ओर जुए के धंधेबाजों पर शायद रहम नज़र बनाए हुए है.

जी हां कुछ ऐसा ही नजारा कोल्हान के तीनों जिलों में देखने को मिलता है.कुछ ही दिन पहले जमशेदपुर के सुंदरनगर के गोडा़डीह गांव हब्बा-डब्बा को लेकर चर्चा में रहा है और वहां मेला पाड़ा के नाम पर अवैध जुए के अड्डे चलाए जा रहे थे.सूत्रों की मानें तो कोल्हान में रोजाना शाम 4.00 बजे से ऐसे दर्जनों अड्डों को सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में चलवाया जा रहा है.आज शाम में गालूडीह के उल्दा में भी थाने से कुछ ही दूरी पर हब्बा-डब्बा चलवाया गया है.कोल्हान के परसुडीह, सुंदरनगर, जादूगोड़ा ,पोटका,राजनगर, आरआईटी‌, चांडिल,सरायकेला समेत दर्जनों सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से युवाओं की टोली जुआ और नशाखोरी के लिए ऐसे अड्डों पर जुटती है.प्रतिदिन यहां जुआ और अवैध शराब के खेल में पचास हजार से एक लाख रुपए तक का फायदा संचालकों को होता है.कुछ जगहों पर तो ऐसे अड्डों को मेले के रूप में परिवर्तित कर जुए अड्डे का संचालन करने के लिए बकायदा पंपलेट भी छपवाया जाता रहा है जिससे जुए के शौकिन लोगों तक धंधेबाज समय से पूर्व ही प्रचार-प्रसार कर भीड़ बढ़ा सकें.

इतना ही नहीं सूत्रों की मानें तो ऐसे अड्डों पर शराब,गांजा और महुआ की भी खुले आम बिक्री होती है.ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों के युवा जब जुए में पैसा हारकर और नशे में चूर होकर जब घर पहुंचते हैं तो इस धंधे के खिलाफ परिजनों का भी ग़ुस्सा फूटना लाजमी होता है.

मटका और लॉटरी संचालकों पर मेहरबान है पुलिस?

हब्बा-डब्बा और मुर्गा पाड़ा के साथ ही लॉटरी और मटका के जुए अड्डे पर भी पुलिस को अभियान चलाकर जड़ से उखाड़ फेंकने की जरूरत है लेकिन उल्टे कुछ थाना क्षेत्रों में इसकी सूचना के बावजूद खुलेआम धंधा चलवाया जा रहा है. जुगसलाई, साक्ची, बिष्टुपुर, सीतारामडेरा, चाईबासा, सरायकेला, आदित्यपुर सहित कई क्षेत्रों में विगत एक माह पहले अखबारों और न्यूज पोर्टल पर चली खबरों के बाद मटका-लॉटरी का धंधा बंद हुआ था लेकिन अब तो हालात फिर से जस के तस हैं.

जुगसलाई,सीतारामडेरा और बिष्टुपुर में जिस तरह से बंद पड़े जुए के अड्डे फिर से गुलजार हो रहे हैं उससे तो यही लगता है कि पुलिस की मंशा इसे बंद करने की है ही नहीं.
सवाल है कि जिस तरह से अखबार और न्यूज चैनलों पर प्रचार-प्रसार कर नशाखोरी रोकने पर झारखंड सरकार ने अभियान चलाकर सख्ती दिखाई है क्या कभी लॉटरी,मटका,मुर्गापाड़ा और हब्बा-डब्बा पर ऐसा अभियान चलेगा?

हैरानी की बात है कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर चल रहे इन अवैध धंधों पर पुलिस की नजर क्यों नहीं पड़ती या फिर देखकर नजर अंदाज करना पड़ रहा है?
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