अनु ओझा: जमशेदपुर की बेटी जिसने फिल्मी दुनिया में अपने नाम का परचम लहराया



अनु ओझा, जो आज भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की एक प्रसिद्ध और चर्चित अदाकारा हैं, ने अपने करियर की शुरुआत 2010 में की थी। उनके शुरुआती सफर की कहानी भी काफी प्रेरणादायक है। 2010 में, अनु ने 'बिग मेमसाब सीजन 5' में भाग लिया, जो कि बिग गंगा चैनल पर प्रसारित होता था। इस शो में अनु ने न केवल भाग लिया, बल्कि इसे जीतकर साबित कर दिया कि वह आने वाले समय में कुछ बड़ा करने वाली हैं। इसके बाद 2015 में उन्होंने 'महुआ प्लस' चैनल के प्रसिद्ध शो 'भौजी नंबर 1' सीजन 7 में भी जीत हासिल की। इस तरह अनु ने न केवल जमशेदपुर, बल्कि पूरे यूपी, बिहार और झारखंड का नाम रोशन किया।

कहते हैं, "डर के आगे जीत है," और अनु ने इस कहावत को अपने जीवन में पूरी तरह से साबित किया। शुरुआती संघर्षों और कठिनाइयों के बावजूद, उन्होंने अपने सपनों का पीछा करना नहीं छोड़ा। धीरे-धीरे उन्होंने भोजपुरी इंडस्ट्री में अपने कदम जमाने शुरू किए। अनु को कई एल्बम में काम करने का मौका मिला, जिसमें उन्होंने भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार पवन सिंह, खेसारी लाल यादव, और अरविंद अकेला कल्लू जैसे दिग्गजों के साथ काम किया।

अनु की फिल्मी करियर की उड़ान तब और ऊँची हो गई जब उन्होंने अपने पति के समर्थन से भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश किया। पवन सिंह के साथ उनकी फिल्में 'बॉस' और 'क्रैक फाइटर' जैसी बड़ी हिट रहीं। खेसारी लाल यादव के साथ 'कुली नंबर 1', 'आशिकी', और 'राजा की आएगी बारात' जैसी फिल्मों में उनकी अदाकारी ने दर्शकों का दिल जीत लिया। इसके अलावा, कल्लू जी के साथ 'दिल धक धक करे', 'प्रोडक्शन नंबर 1', और अन्य कई फिल्मों में भी अनु ने अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मनवाया।

अनु ओझा का करियर केवल फिल्मों तक ही सीमित नहीं रहा। उन्होंने टीवी की दुनिया में भी अपने कदम जमाए। 'सावधान इंडिया', 'क्राइम पेट्रोल', और 'मौका ए वारदात' जैसे प्रसिद्ध क्राइम शो में भी उन्होंने बेहतरीन काम किया। उनका यह सफर आसान नहीं था; उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें आज इस मुकाम पर पहुंचाया है, जहाँ अनु ओझा का नाम ही उनकी पहचान बन गया है।

फिलहाल, अनु ओझा 'B4U भोजपुरी' चैनल की टॉप एक्ट्रेस के रूप में स्थापित हैं। उनकी हालिया सुपरहिट फिल्मों में 'विद्या', 'ससुराल का दीवाना', 'मैं मायके चली जाऊँगी', 'विषकन्या', 'बंधन सच्चे धागों का', 'चटोरी बहू', 'ड्राइवर बाबू इलू इलू', और 'सनेहिया के खेल' शामिल हैं। इन फिल्मों ने दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई है और अनु को एक बार फिर से साबित किया है कि वह किसी भी चुनौती को पार कर सकती हैं।

आज के समय में, अनु ओझा ने 40 से 45 फिल्मों में अपना योगदान दिया है। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से न केवल फिल्मी दुनिया में, बल्कि पूरे यूपी, बिहार और झारखंड में भी अपना नाम रोशन किया है। अनु ओझा आज जमशेदपुर की शान हैं, और उनके सफर को देखकर यह कहा जा सकता है कि वह अभी भी अपने करियर के सर्वोत्तम दौर में हैं।

अनु ओझा का परिवार भी उनकी सफलता की कहानी का अहम हिस्सा है। उनके पति, जो कि एक व्यवसायी हैं, ने हमेशा अनु का समर्थन किया है। उनके तीन बच्चे हैं और उनका परिवार एक साथ बहुत खुशहाल जीवन बिता रहा है। अनु अपने सास-ससुर, देवर-देवरानी और पूरे परिवार के साथ बड़े प्यार से रहती हैं। आज, अनु ओझा एक ऐसी महिला के रूप में उभरी हैं, जिसने न केवल फिल्मी दुनिया में, बल्कि अपने निजी जीवन में भी सफलता प्राप्त की है।

"अनु ओझा नाम ही काफी है"— यह केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि उनकी संघर्ष और सफलता की गाथा का प्रतीक है। जमशेदपुर की यह बेटी अब अपने अभिनय से पूरी फिल्म इंडस्ट्री में अपने नाम का परचम लहरा रही है।
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