एसटी-एससी वर्ग के कोटे के अंदर कोटा क्रीमी लेयर लागु करने के फैसले के खिलाफ भारत बंद के खिलाफ भारत बंद को आदिवासी- मूलवासी जनाधिकार मंच ने समर्थन दिया है और बंद कराने के लिए रोड पर उतरेगा।

उपरोक्त बाते आज आदिवासी- मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने कही ।इन्होने आगे कहा कि 21 अगस्त को भारत बंद इतिहासिक होगा

श्री नायक ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 अगस्त को दिए गए फैसले अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के कोटे के अंदर कोटा और कोट के अंदर क्रीमी लेयर निर्धारित करने का अधिकार राज्यों को देने निर्णय पारित किया है, इस निर्णय से देश भर के अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्ग प्रभावित हो रहे हैं । वास्तव में अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्ग के भीतर वर्गीकरण करने का अधिकार राज्यों को नहीं है, क्योंकि आर्टिकल 341 (2) एवं 342 (2) यह अधिकार देश के सांसद को देता है और यही बात ई वी चिनैया मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 2005 में कहा था।पंजाब राज्य बनाम दविंदर सिंह मामले में 1 अगस्त 2024 के निर्णय में 7 जजों में से एक जज जस्टिस बेला एम त्रिवेदी जी ने 6 जजों के फैसले से असहमति जताते हुए अपना निर्णय उपवर्गीकरण और क्रीमीलेयर के खिलाफ दी है।जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने 9 जजों की संवैधानिक पीठ इंदिरा साहनी मामले 1992 में जस्टिस जीवन रेड्डी के कथन को उद्धृत करते हुए निर्णय लिखी है कि क्रीमी लेयर टेस्ट केवल पिछड़े वर्ग तक सीमित है,अनुसूचित जातियों एवम् जनजातियों के मामले में इसकी कोई प्रासंगिकता नही है।

श्री नायक ने आगे यह भी कहा कि एससी एसटी वर्ग के भीतर वर्गीकरण का यह अधिकार राज्यों को देने से एक वर्ग के भीतर ही नया संघर्ष से शुरू हो जाएगा एवं पुनः NFS(NOT FOUND SUITABLE) का दौर शुरू हो जाएगा। भविष्य में बगैर भरी रिक्त सीट सामान्य कोटे में अघोषित रूप से तब्दील हो जायेगी। एससी एसटी के भीतर ओबीसी की तरह क्रीमी लेयर लागू होने से यह वर्ग दो भागों में बंट जाएगा। मुख्यधारा की ओर थोड़ा आगे बढ़ रहे है, वे क्रिमि लेयर के दायरे में आ जाएंगे। यह वर्ग प्रतियोगिता में शामिल होने के पहले ही अघोषित रूप से बाहर हो जायेगा जो एसटी एसटी के लिए अन्याय भरा कदम माना जायेगा ।
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