अवैध वेंडरों पर आठ दिन बाद भी नहीं दर्ज हुई एफआईआर, पेंट्रीकार मैनेजर को मारकर किया था घायल

अवैध वेंडर के गुंडागर्दी से खौफजदा हैं पेंट्रीकार मैनेजर, कहा - पेंट्रीकार मैनेजर की हत्या तक करवा सकते हैं अवैध वेंडर

चक्रधरपुर रेल मंडल में पेंट्रीकार मैनेजर सुरक्षित नहीं हैं। पैंट्री कार मैनेजर की हालत ऐसी है की यहाँ उनकी हत्या तक अवैध वेंडर करा सकते हैं। पिछले दिनों पेंट्रीकार मैनेजर पर हुए दो हमले की घटना के बाद भी अवैध वेंडर पर ना तो आरपीएफ रोक लगा पाई है और ना ही जीआरपी ने मामले पर संज्ञान लेते हुए कोई सख्त कानूनी कार्रवाई की है। जबकि राउरकेला में अवैध वेंडर के गुंडागर्दी से पेंट्रीकार मैनेजर परेशान हैं और उन्होंने पहले भी आरोप लगाया है की अवैध वेंडर उनकी हत्या तक करवा सकते हैं। पिछले दिनों 16 अगस्त को हैदराबाद रक्सौल एक्सप्रेस ट्रेन के पेंट्रीकार के मैनेजर अविनाश साव की अवैध वेंडरों ने चलती ट्रेन में जमकर पिटाई की थी। 

इस पिटाई में पेंट्रीकार के मैनेजर अविनाश साव के मुंह और नाक से खून भी निकल आया था। जिसके बाद पेंट्रीकार मैनेजर ने खुद का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में रेल मंत्रालय को टैग कर इसकी जानकारी दी थी। लेकिन अवैध वेंडरों की राउरकेला स्टेशन में हांक देखिये आठ दिनों के बाद भी पेंट्रीकार मैनेजर पर जानलेवा हमला करने वाले अवैध वेंडरों के खिलाफ एफआईआर तक नहीं दर्ज की गयी है। मामले को रफा दफा कर दिया गया है। बताया जा रहा है की सीमा विवाद के कारण मामले में राउरकेला और झारसुगुड़ा जीआरपी ने एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया है। 

दोनों थाना की पुलिस द्वारा केस नहीं लिए जाने से अवैध वेंडरों का मनोबल अब और बढ़ चूका है जो की किसी भी दिन राउरकेला स्टेशन में वर्चस्व कायम करने के लिए बड़ी अपराधिक घटना को अंजाम दे सकते हैं। इससे पहले अवैध वेंडर द्वारा एक और पेंट्रीकार मैनेजर की पिटाई की गयी थी। इसके बाद एक रेल यात्री को चाकू मारकर घायल करने की भी खबर आई थी। इस मामले को भी आरपीएफ और जीआरपी ने मिलकर लीपापोती कर दी है। 

जिस आरपीएफ और सीआई पर अवैध वेंडरों पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी है उसी के सामने अवैध वेंडर स्टेशन और ट्रेन में खुलेआम धड़ल्ले से बिरयानी और अन्य खाद्य सामग्री बेचते नजर आते हैं। इससे आप समझ सकते हैं की आरपीएफ और सीआई से अवैध वेंडरों की सेटिंग कितनी तगड़ी है। बताया यह भी जा रहा है की आरपीएफ और जीआरपी के बड़े अधिकारी तक पैसों का बंदरबांट होता है इसलिए अवैध वेंडिंग के कारोबार को स्टेशन से लेकर ट्रेन में रोका नहीं जा रहा है।
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