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कविता : आया है शिव मास सखी री


✍️आर.सूर्य कुमारी-विनायक फीचर्स

आया है शिव मास सखी री ,
आया है शिव मास ।

आसमान पर बादल मंडराए ,
रिमझिम - रिमझिम पानी बरसाए
जगत की शिलाओं का ---
होता है अभिषेक सखी री ,
होता है अभिषेक ।

आया है शिव मास सखी री ,
आया है शिव मास।

हरियाली में जग सारा है डूबा ,
बागों में हरी बालाओं का डेरा ।
हरा - हरा आंचल उड़ता है ,
उड़ता है अतिरेक सखी री ,
उड़ता है अतिरेक।

आया है शिव मास सखी री,
आया है शिव मास।

सावन में शिव जी यों आए ,
नाच-नाच जग को भरमाए ।
मानों शिवालयों पर ---
जग दृष्टि है अनिमेष सखी री ,
जग दृष्टि है अनिमेष।

आया है शिव मास सखी री ---
आया है शिव मास ।

जग बेलपत्र और जल चढ़ाए ,
इतने में प्रभु आनंदित हो जाएं ।
मानों मंदिर के द्वार पर ---
न दिखता भूमि अवशेष सखी री,
न दिखता भूमि अवशेष।

आया है शिव मास सखी री,
आया है शिव मास ।(विनायक फीचर्स) 
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