यूनिसेफ ने शिक्षकों को बाल अधिकार पर प्रशिक्षित करने के लिए कार्यशाला का किया आयोजन


Chaibasa : यूनिसेफ झारखंड ने पश्चिमी सिंहभूम जिले के सरकारी विद्यालयों एवं केजीबीवी के शिक्षकों को बाल अधिकारों की जानकारी देने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। यूनिसेफ झारखंड तथा नव भारत जागृति केंद्र (एनबीजेके) ने पश्चिमी सिंहभूम के 3 प्रखंडों के शिक्षकों तथा 15 केजीबीवी के शिक्षकों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन चाईबासा स्थित एक होटल में किया। कार्यशाला के माध्यम से शिक्षकों को बाल अधिकारों को लेकर उन्मुखीकरण किया गया तथा बच्चों से संबंधित मुद्दों की जानकारी दी गई।  

यह कार्यक्रम यूनिसेफ झारखंड द्वारा सरकारी स्कूलों में चलाए जा रहे किशोर रिपोर्टर कार्यक्रम का हिस्सा था। इस कार्यक्रम में चाईबासा सदर, मंझारी और खूंटपानी के 3 प्रखंडों के 30 सरकारी स्कूलों के शिक्षकों तथा 15 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) के 15 शिक्षकों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में विभिन्न सरकारी स्कूल के 45 शिक्षकों के अलावा विभिन्न प्रखंडों के शिक्षा प्रसार अधिकारी (बीईईओ) तथा ब्लॉक कार्यक्रम अधिकारियों (बीपीओ) ने भी हिस्सा लिया।

कार्यशाला का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन (यूएनसीआरसी) के प्रावधानों के अनुरूप स्कूलों में सक्रिय बाल कैबिनेट की स्थापना, स्वस्थ आहार को बढ़ावा देना, बच्चों में गैर-संचारी रोगों के निवारण तथा बाल संरक्षण में शिक्षकों की भूमिका, स्कूलों में स्वच्छता एवं साफ-सफाई तथा स्कूलों में आपातकालीन सुरक्षा तैयारी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर शिक्षकों का उन्मुखीकरण किया गया तथा विस्तार से इन विषयों की जानकारी दी गई। 
कार्यशाला को आस्था अलंग, संचार विशेषज्ञ, यूनिसेफ झारखंड; ओंकार नाथ त्रिपाठी, सामाजिक नीति विशेषज्ञ, यूनिसेफ; टोनी टोप्पो, जिला शिक्षा पदाधिकारी, पश्चिमी सिंहभूम तथा यूनिसेफ के कंसल्टेंटों ने भी संबोधित किया। 

बच्चों के समग्र विकास में शिक्षकों की भूमिका पर बल देते हुए, यूनिसेफ झारखंड की संचार विशेषज्ञ आस्था अलंग ने कहा, ''बाल अधिकार बच्चों के लिए एक सुरक्षित, समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक वातावरण की नींव है। यह प्रत्येक बच्चे को जीने, सुरक्षा प्राप्त करने, समुचित विकास तथा अपने जीवन को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर अपनी बात रखने का अधिकार प्रदान करता है। हमारी सामूहिक भूमिका इन अधिकारों को स्कूलों एवं समुदायों में सुनिश्चित करना है, ताकि बच्चों को शोषण और उपेक्षा से सुरक्षा प्रदान की जा सके। बच्चों को पोषण, शिक्षा के अधिकार तथा स्कूल में सुरक्षा समेत सभी बाल अधिकार के मुद्दों की पहचान करने तथा उन मुद्दों के समाधान में शिक्षकों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है।'' 

उन्होंने आगे कहा, ''बच्चों के अधिकारों के बारे में जानने से शिक्षकों को यह आकलन करने में भी सहायता मिलती है कि न केवल उनकी कक्षाओं तथा स्कूलों में बल्कि समुदाय में भी सभी बच्चों को उनके अधिकार मिल रहे हैं और उन अधिकारों का सम्मान किया जा रहा है। यह कार्यशाला शिक्षकों को बाल अधिकारों के हर पहलू के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है, जिसके माध्यम से वे समाज में सभी बच्चों के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने में अपनी भूमिका का प्रभावी ढ़ंग से निर्वहन कर सकते हैं।''

इस अवसर पर बोलते हुए, पश्चिमी सिंहभूम जिला के शिक्षा अधिकारी (डीईओ) श्री टोनी टोप्पो ने कहा, ''यूनिसेफ के द्वारा आयोजित यह कार्यशाला सरकारी स्कूल के शिक्षकों को बाल अधिकारों पर प्रशिक्षित करने की एक उत्कृष्ट पहल है। इस कार्यशाला के माध्यम से प्रशिक्षित शिक्षक बच्चों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने में सहायता कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि किसी भी रूप में बाल अधिकारों का उल्लंघन न हो।'' 

उन्होंने आगे कहा, ''मैं कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी शिक्षकों, प्रखंड शिक्षा प्रसार अधिकारियों (बीईईओ) तथा प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी (बीपीओ) से अनुरोध करता हूं कि वे इस कार्यशाला के ज्ञान को अपने स्कूलों और समुदाय में ले जाएं ताकि हम स्कूल और समाज को बच्चों के अनुकूल बना सकें और यह सुनिश्चित कर सकें कि कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर न रहे और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और समान अवसर मिले।''
इस अवसर पर सभी प्रतिभागियों ने शपथ लिया कि वे बाल अधिकारों को सुनिश्चित करेंगे, ताकि सभी बच्चों को एक स्वस्थ एवं सुरक्षित वातावरण तथा समान अवसर मिले।
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