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पेड़ों को अपनी जिगर का टुकड़ा समझता है ए के पांडेय...अपने बेटे की तरह प्यार करता है पेड़ों को रोजाना करते हैं देखभाल

बेटे के याद में हर वर्ष लगते हैं पेड़, रोजाना करते हैं देखभाल


चकधरपुर  : हमारे पर्यावरण के संरक्षण के लिए पेड़ पौधों का काफी महत्व है. केवल पर्यावरण ही नहीं बल्कि हम इंसानों की भी जान इन्हीं पेड़ पौधों की वजह से बची हुई है. इन्हीं पेड़ पौधों से हमें ऑक्सीजन मिलती है और हम जीवित हैं. लेकिन हम इन्सान बदले में इन पेड़ पौधों को क्या देते हैं. यह सवाल कभी आप सच्चे मन से दिल पर हाथ रखकर सोचियेगा और जवाब तलाशने की कोशिश कीजियेगा ...

आज हम इन्हीं बेजुबान पेड़ पौधों की बात करेंगे जो आपको देते तो बहुत कुछ हैं लेकिन आपसे मांगते कुछ नहीं. आजकल तो पेड़ पौधे लगाना फैशन सा बन गया है. किसी बड़े शख्सियत से पौधारोपण करा दिया. फोटो खिंचवा ली और लोग चले गए. इसके बाद शायद ही कोई उस रोपे गए पौधे की चिंता करता है. ना तो उसके बाद उसमें नियमित रूप से पानी दी जाती है और ना ही उसकी देखभाल की जाती है. 

लेकिन इन सबके बीच चक्रधरपुर में एक शख्सियत ऐसा है जो पेड़ों को अपनी जिगर का टुकड़ा समझता है ... जी हाँ जिगर का टुकड़ा ... अपने बेटे की तरह प्यार करता है पेड़ों को. पेड़ की पत्तियों और टहनियों को छूकर अपने प्यार का तरंग पेड़ को देता है. पेड़ के साथ एक इन्सान का यह स्नेह हम शब्दों से बयाँ नहीं कर सकते बस इसके पीछे की कहानी हम आपको बता देते हैं.

पेड़ों से प्यार करने वाले यह सज्जन हैं एके पाण्डेय. एके पाण्डेय चक्रधरपुर रेल मंडल के बिजली विभाग के टीआरडी सेक्शन में कार्यरत एक रेलकर्मी हैं. एके पाण्डेय के पुत्र अंकित पाण्डेय की कुछ साल पहले देहांत हो गया था. अपने नाबालिग बेटे के शव को कंधा देने का सबसे बड़ा दुख औरे गम इस पिता ने ढोया है. एके पाण्डेय के लिए बेटे को खोने का गम बहुत बड़ा है. लेकिन इस गम से उबरने में एके पाण्डेय को इन्हीं बेजुबान पेड़ पौधों ने मदद की. एके पाण्डेय ने बेटे की याद में वर्ष 2019 से पौधारोपण शुरू किया. उन्होंने बेटे के जन्मदिन पर हर साल 23 सितम्बर के दिन पौधारोपण किया, इस कार्य में उके साथ और भी लोग जुड़ते चले गए. 

चक्रधरपुर रेलवे क्षेत्र के सड़क किनारे उनके द्वारा कई जगह पौधारोपण किया गया है. ना सिर्फ उन्होंने पौधे लगाए. बल्कि पौधे के संरक्षण का भी पूरा ख्याल रखा और हर दिन पौधों की समय निकालकर देखभाल भी करते हैं. आज उनमें से कई पेड़ ऐसे हैं जो उनसे कई गुनाह ज्यादा लम्बे और फलदार के साथ साथ छायादार वृक्ष बन चुके हैं. एके पाण्डेय की मानें तो इन पेड़ों में वे अपने बेटे अंकित पाण्डेय को देखते हैं. उन्होंने अपने बेटे की तरह इन पेड़ों को लगाया है और सींचा है. वे जब भी इन पेड़ों को देखते हैं, पेड़ों की हरियाली को देखते हैं, पेड़ में हो रहे विकास को देखते हैं तो उन्हें बहुत ख़ुशी मिलती है. वे पेड़ों के टहनियों को छूते हैं, पत्तियों को सवारते हैं. इतना सबकुछ इसलिए क्योंकि वे इन पेड़ों में अपने बेटे अंकित को देखते हैं. 

जब एक इन्सान का पेड़ों पौधों से ऐसा प्यार और लगाव देखने को मिलता है तब सही मायने में पर्यावरण संरक्षण सार्थक होता हुआ नजर आता है. एके पाण्डेय का पेड़ों से यह प्यार उनके लिए भी आइना है जो पेड़ों को अपने परिवार का हिस्सा नहीं मानते. पेड़ है तो मानव जीवन है. पेड़ नहीं तो जीवन की कल्पना ही मुश्किल है. पेड़ों का संरक्षण तब ही संभव है जब हम पेड़ों को अपने परिवार का सदस्य मानेंगे और उसकी सही मायने में देखभाल करेंगे. एके पाण्डेय अपने बेटे अंकित की याद में सामाजिक कार्य भी करते हैं और चित्रकला प्रतियोगिता का भी आयोजन करते हैं. 10 सितम्बर रविवार को अंकित की याद में चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन होगा और 23 सितम्बर को अंकित के जन्मदिन पर रंगारंग कार्यक्रम के साथ विजेता बच्चों को सम्मानित भी किया जायेगा.
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