मजदूरी के नाम पर ठगी: गरीबों के सपनों पर डाका
पोटका प्रखंड के राजदोहा गांव की चार मजदूरों की आपबीती
झारखंड के दूरदराज गांवों से रोजी-रोटी की तलाश में मजदूरी के लिए पलायन करने वाले गरीबों की स्थिति दिन-ब-दिन और गंभीर होती जा रही है। ऐसे ही एक दर्दनाक घटना ने पोटका प्रखंड के डोमजूड़ी पंचायत के राजदोहा गांव में उजागर किया है, जहां गरीब परिवारों को मजदूरी का लालच देकर केरल भेजा गया, और वहां उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया।
मजदूर सप्लाई का गोरखधंधा
गांव के चार मजदूरों - सनातन कर्मकार, यादव कर्मकार, सुनील कर्मकार और जोगेश्वर कर्मकार - को गालूडीह के एक मजदूर सप्लायर रंजीत उर्फ "मुन्ना" ने बीते साल अक्टूबर में 12 हजार रुपये प्रति माह की मजदूरी का झांसा देकर केरल भेजा। ये सभी लोग BMP नामक एक सिविल कांट्रेक्टर कंपनी में काम करने के लिए भेजे गए थे।
शुरूआती दिनों में इनके रहने और खाने-पीने की व्यवस्था तो कर दी गई थी, लेकिन जब हफ्तेभर के लिए तेल-साबुन आदि खर्च के नाम पर मिलने वाली रकम दो महीने बाद ही बंद कर दी गई, तब इनकी मुश्किलें शुरू हो गईं। तीन महीने बीत जाने के बाद जब इन्होंने अपनी मजदूरी के भुगतान की मांग की, तो इन्हें यह कहकर टाल दिया गया कि उनके पेमेंट की जिम्मेदारी ठेकेदार की है, न कि कंपनी की।
चार माह की बेगारी, बिना मजदूरी लौटे मजदूर
रंजीत का दामाद, जो वहां मुंशी का काम करता था, इन मजदूरों से हमेशा यह कहता रहा कि भुगतान जल्द ही हो जाएगा। चार महीनों तक बिना एक भी पैसा पाए मजदूरों के सब्र का बांध टूट गया। आखिरकार, उन्होंने किसी तरह घर से पैसा मंगवाकर केरल से वापस आने का फैसला किया। खाली हाथ लौटने के बाद जब उन्होंने गालूडीह में रंजीत से मजदूरी की मांग की, तो उन्हें धमकी दी गई। रंजीत ने साफ कह दिया, "जो करना है, कर लो, पुलिस प्रशासन हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।"
न्याय की उम्मीद में मजदूरों की गुहार
थक हारकर इन चारों मजदूरों ने अपने गांव के बीरबल सरदार और अमित पात्र से मदद की गुहार लगाई। उनके सहयोग से यह मामला पूर्व जिला पार्षद करुणा मय मंडल के पास पहुंचा। सनातन कर्मकार ने मंडल के समक्ष अपनी पूरी आपबीती सुनाई और कंपनी की अटेंडेंस पर्ची भी पेश की, जो इस ठगी का स्पष्ट प्रमाण था।
पूर्व जिला पार्षद करुणा मय मंडल ने इस गंभीर मामले को लेकर जिले के उच्चाधिकारियों से बातचीत की और जल्द से जल्द पीड़ित मजदूरों को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया।
यह घटना सिर्फ एक उदाहरण है कि कैसे आज भी देश के विभिन्न हिस्सों में गरीब मजदूरों को ठगने का गोरखधंधा फल-फूल रहा है। वहीं, सरकार और प्रशासन की उदासीनता के कारण ऐसे दलाल खुलेआम लोगों का शोषण कर रहे हैं। सवाल यह है कि इन मजदूरों को कब और कैसे न्याय मिलेगा?