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ईचागढ़ सहित कई गांवों के घर हुआ जलमग्न , लोगों में दहशत ,लगातार बढ़ रहा जलस्तर .....

सीओ , बीडीओ ने लिया जायजा

 
ईचागढ़ - सरायकेला-खरसावां जिला के ईचागढ़ व कुकड़ु प्रखंड क्षेत्र मे साइक्लोनिक सर्कुलेशन से भारी बारिश ने तबाही मचाई है। चार दिनों से रूक रूकर हो रही बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त है, वहीं नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। ईचागढ़ व कुकड़ु प्रखंड क्षेत्र के सुवर्ण रेखा, करकरी, शोभा नाल सहित कई नदियां उफान पर है। प्रशासन द्वारा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने व नदी किनारे नही जाने का अपील किया है। वहीं पुरे जिले में रेड अलर्ट जारी किया गया है।चांडिल डैम का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है । ईचागढ़ बस्ती,बाकसाई , बांदू, काली चामदा , मैसड़ा , कुमारी , दुलमी, ओड़िया सहित दर्जनों गांवों में डैम का पानी घुस गया है। गांव का सड़कों पर घुटने भर पानी भर गया है, जिससे लोगों को घर से निकलना दुभर हो गया है। 

ईचागढ़ बस्ती के मुख्य सड़क , मस्जिद बस्ती आदि में सड़कों पर तीन से चार फीट पानी जम गया है। ईचागढ़ बस्ती में घरों में पानी घुस गया है। दुकानदार व गृहस्थी अपने समानों को ढो ढो कर सुरक्षित जगहों पर ले जा रहे हैं।कुछ लोग स्कूल और सरकारी घरों के छतों पर चढ़ कर अपना जान बचाने का जद्दोजहद में लगे हुए हैं। हांलांकि चांडिल डैम का 9 रेडियल गेट को 1-1 मीटर खोल दिया गया है। डैम का जलस्तर 182 मीटर से अधिक दर्ज किया गया है। लगातार रूक रूक कर झमाझम बारिश से लगातार नदियों का जलस्तर खतरे से ऊपर जा रहा है। लगातार जल स्तर बढ़ने से ईचागढ़ आदि डुबा क्षेत्र के लोगों में अफरातफरी मची हुई है। काली चामदा में घर भी पानी से गीर रहा है। लोग स्कूल के छत पर चढ़कर अपना सुरक्षा कर रहे हैं। 

ईचागढ़ मुख्य सड़क पर 4 फीट पानी जम गया है। लगातार पानी बड़ रहा है। ईचागढ़ अंचलाधिकारी दीपक प्रसाद, बीडीओ किकु महतो व मुखिया राखोहरी सिंह मुण्डा सुबह से ही ईचागढ़ में नजर रखे हुए हैं। अधिकारी ईचागढ़ पुल पर जमे हुए हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने का अपील कर रहे हैं। ईचागढ़ सड़क जलमग्न हो जाने से दर्जनों गांवों का प्रखंड मुख्यालय, अस्पताल आना जाना बंद हो गया है। राहत कार्य नहीं चलाए जाने पर लोगों में आक्रोश देखा जा रहा है।बाड़ में फंसे विस्थापित गांवों में भोजन व खाने के भी लाले पड़ गए हैं। ईचागढ़ के उप मुखिया अमर नाथ यादव ने कहा कि सरकार जान बुझकर विस्थापित गांवों को डुबा रही है। उन्होंने कहा कि जब पहले से ही मौसम विभाग भारी बारिश का घोषणा किया है, तो डैम का गेटों को बंद करना कहां का न्याय है। 

उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण मुआवजा, नौकरी आदि देने से पहले गांवों को डुबाना एक सड़यंत्र है। उन्होंने कहा कि विभाग और जन प्रतिनिधि कहां सोए हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा न ही राहत कार्य चलाया जा रहा है न ही खाना व सुद्ध पेय जल का ही व्यवस्था किया गया है। उन्होंने कहा कि सड़यंत्र के तहत विस्थापितों को पानी में डुबोकर मारने का मकसद से जल भंडारण किया जा रहा है। विस्थापित गांवों के लोगों का सरकार और जल संसाधन विभाग के प्रति काफी आक्रोश देखा गया।
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