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DAV BISTUPUR : डीएवी बिष्टुपुर में दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न

जमशेदपुर - स्थानीय डीएवी पब्लिक स्कूल बिष्टुपुर में दो दिवसीय क्षमता संवर्धन कार्यशाला का समापन हुआ। गौरतलब हो कि 'सीखना' सतत प्रक्रिया है एवं शिक्षण पद्धति का यह एक अनिवार्य अंग है। इसी क्रम में हर वर्ष की भाॅंति इस वर्ष भी डीएवी सी.ए.ई, दिल्ली के तत्वावधान में डी.ए.वी पब्लिक स्कूल बिस्टुपुर में आयोजित दो दिवसीय क्षमता संवर्धन कार्यशाला में डीएवी स्कूल्स,जोन-ई के सात विद्यालय (डीएवी सिजुआ, डीएवी जामाडोबा, डीएवी सीएफआरआई, डीएवी चाईबासा, डीएवी बरोरा, डीएवी नोवामुंडी, डीएवी महुदा) सहित डीएवी बिष्टुपुर के हिन्दी, संस्कृत एवं कंप्यूटर साइंस विषय के प्राथमिक,माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक स्तर के 57 शिक्षक शामिल हुए।


परम्परानुसार कार्यशाला का आरंभ दीप-प्रज्वलन एवं डी.ए.वी गान से हुआ। शिक्षण कार्य में आए हुए बदलाव को आत्मसात करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती प्रज्ञा सिंह ने कहा- छात्रों में विद्यमान नैसर्गिक प्रतिभा को पोषण देने के लिए डीएवी संस्था प्रतिबद्ध है अतः हर वर्ष यह अपने शिक्षकों के अध्ययन-अध्यापन प्रक्रिया को निखारने के लिए कार्यशाला का आयोजन करता आ रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि कार्यशाला का लक्ष्य यह जरूर होना चाहिए कि प्रतिवर्ष हमारी संस्था का गुणवत्ता प्रदर्शन संकेतक (QPI) का स्तर प्रत्येक विषय में बढ़ता जाए।


प्रथम सत्र में श्रीमती आराधना दुबे ने 'प्राथमिक कक्षाओं में व्याकरण शिक्षण' विषय पर बताया कि किस प्रकार प्राथमिक स्तर पर खेल-खेल में व्याकरण के प्रति छात्रों में रुचि पैदा कर सकते हैं वहीं दूसरा सत्र श्रीमती रूमा गोराई द्वारा 'कला समेकित शिक्षण एवं गतिविधियाॅं' विषय को समर्पित रहा। तीसरा सत्र श्रीमान प्रदीप कुमार महतो द्वारा 'लेखन कौशल विकास हेतु गतिविधियाॅं' विषय के तहत विभिन्न प्रकार के रोचक क्रियाओं पर प्रकाश डाला गया एवं चौथे सत्र में श्रीमान एस.बी. सिंह ने 'हिंदी सुधारें एवं बढ़ाएं अपना शब्द भंडार' विषय पर हिंदी सुधार के नए-नए गुर सिखाए। प्रथम दिवस के अंतिम सत्र में श्रीमान ए.एन.सिंह, श्रीमती रूमा गोराई एवं श्रीमती आराधना दुबे द्वारा पाठ्यक्रम व प्रश्न पत्र निर्माण पर विस्तृत चर्चा की गई। द्वितीय दिवस का प्रथम सत्र श्रीमान प्रदीप कुमार महतो द्वारा 'विद्यार्थियों में रचनात्मकता का विकास' के अंतर्गत बताया गया कि किस प्रकार हम छात्रों में सृजनशीलता को बढ़ावा दे सकते हैं वहीं द्वितीय सत्र श्रीमान एस.बी. सिंह द्वारा 'हिंदी में प्रथम कौन?' विषय में हिंदी के सभी विधाओं में 'प्रथम' का परिचय दिया।


तृतीय सत्र सुश्री स्वाति तिवारी द्वारा 'वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिंदी की चुनौतियॉं' विषय के तहत चुनौतियों के निवारण की वृहद चर्चा की गई। अंततः सभी प्रतिभागियों ने अपने अध्ययन-अध्यापन के अनुभवों को साझा किया। विद्यालय की ओर से किए गए उत्तम प्रबंध की सभी ने प्रशंसा की। द्विदिवसीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक समापन हुआ।
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