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झारखंड के विभिन्न गांव में गोहाल पूजा का किया गया आयोजन; श्रद्धा भाव के साथ पूजे गए पशुधन


सरायकेला | झारखंड के विभिन्न गांवों में गोवर्धन पूजा के पावन अवसर पर पशुपालक किसानों द्वारा गोहाल पूजा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पशुपालकों ने अपने पशुधन को नहला-धुला कर अच्छे से तैयार किया। कई स्थानों पर पशुपालकों द्वारा अपने पशुधन को वस्त्र भी दिए गए। और कई पशुपालकों ने अपने पशुधन को आल्ता इत्यादि से सुंदर रंगों से सजाया। इसके बाद परंपरा अनुसार धान बाली का मुकुट पशुधन को पहनाया गया। गोहाल पूजा को लेकर घर की सुहागिन महिलाओं ने गोहाल या गौशाला की अच्छी प्रकार से सफाई कर एवं गोबर से लिपकर शुद्ध किया। इसके बाद दीप जलाकर गौशाला का पूजन किया। 

मौके पर पशुधन को गोहाल में लाया गया। और विधि विधान के साथ उसका चुमावन करते हुए उसे घर में बने हुए पीठा पकवान का सेवन कराया गया। प्राय: सभी गांव के पशुपालकों द्वारा गोहाल पूजा की गई। नवाडीह गांव के पशुपालक ललित नंदा इस संबंध में विशेष जानकारी देते हुए बताया कि कृषि कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होने के पश्चात अनाजों के घर पहुंचने पर पशुधन को धन्यवाद देने और उनका आभार व्यक्त के लिए गोहाल पूजा किए जाने की धार्मिक परंपरा रही है। 

इसके पीछे धार्मिक मान्यता भी रही है कि इस एक दिन भगवान भोलेनाथ शिव शंकर शंभू अपने गण माने जाने वाले पशुधनों को देखने के लिए धरती पर आते हैं। और धरती पर उनका सत्कार होते देख बेहद प्रसन्नता के साथ शिवधाम को जाते हैं।


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