Akhan Yatra Ancient Rituals : मकर संक्रांति के दूसरे दिन आखान यात्रा का शुभारंभ किया गया। इसके तहत प्राचीन परंपराओं का आयोजन विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिला। जिसमें चिड़ी दाग परंपरा के तहत लोहे के तीन अंकुश वाले औजार को आग में तपाकर पेट के नाभि के चारों ओर तीन दाग दिए गए। प्रातः बेला से ही चिड़ी दाग लेने की उत्साह के साथ बच्चों से वृद्ध लोग गांव के परंपरागत चिड़ी दाग देने वाले के घर पहुंचते रहे। जहां छोटे बच्चों को भी उनके अभिभावकों द्वारा जबरन चिड़ी दाग कराया गया।
इसके पीछे मान्यता रही है कि आखान यात्रा के दिन चिड़ी दाग लेने से पूरे वर्ष भर पेट से संबंधित किसी प्रकार की बीमारी नहीं होती है। इतना ही नहीं ग्रामीण मानता और जानकार बताते हैं कि लोहे की गर्म अंकुशों से चिड़ी दाग लेने पर किसी भी प्रकार की सेप्टिक जैसी स्वास्थ्य समस्या नहीं होती हैं।

इधर आखान यात्रा के साथ किसानों ने हल पुन्हा करते हुए परंपरागत परंपरागत कृषि कार्य का शुभारंभ किया। इसके तहत किसान परिवार की महिला द्वारा विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर हल और बैल का चुमावन करते हुए किसान को हल, बैल और बीज के साथ खेतों के लिए रवाना किया गया। जहां किसानों ने इष्ट देव का आह्वान कर खेत की धरती को प्रणाम करते हुए खेत में तीन चक्कर हल चलाए। और बीजों का छिड़काव किया। जिसके बाद किसान वापस घर को लौट आए। इस मौके पर किसान परिवारों में पीठा पकवान के साथ पशुधन का भी सत्कार किया गया। मान्यता है कि आखान यात्रा से सांकेतिक ही सही परंतु कृषि कार्य के शुभारंभ किए जाने से वार्षिक कृषि कार्य निर्विघ्न सफल होती है।