दिव्यांग बच्चों को शिक्षा से वंचित करना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है:
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अंतर्गत दिव्यांगता की श्रेणी 21 प्रकार के हो गए:
Inclusive Education for Disabled Children : समावेशी शिक्षा के अंतर्गत जिला स्तरीय एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन सामुदायिक भवन सरायकेला के सभागार में किया गया जिसमें प्रतिभागी के रूप में प्रखंड के सभी आंगनवाड़ी सेविका एवं विद्यालय में अध्यनरत दिव्यांग बच्चों के अभिभावक ने भाग लिया |
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला अतिरिक्त कार्यक्रम पदाधिकारी सुनिला लकड़ा ने कहा कि दिव्यांग बच्चे समाज के अभिन्न अंग हैं समता मूलक समाज के निर्माण के लिए सबकी भागीदारी आवश्यक है |
प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी दिनेश दंडपात ने संबोधित करते हुए कहा कि दिव्यांग बच्चों का पूर्व पहचान एवं शीघ्र हस्तक्षेप करने में आंगनबाड़ी सेवाकाओं का भूमिका अति महत्वपूर्ण है बच्चों के साथ-साथ माता को स्वस्थ्य रखने कि जानकारी आंगनवाड़ी सेविका से ही प्राप्त होती है |
समावेशी शिक्षा के जिला प्रभारी श्री मनोज कुमार ने बताया कि सभी बच्चों को समान अवसर देने की जरूरत है समय अवधि पूर्ण होते ही नजदीकी विद्यालय में नामांकन करने में आंगनबाड़ी सेविका की महत्वपूर्ण भूमिका होती है दिव्यांग बच्चों को सहानुभूति नहीं सहयोग की आवश्यकता होती है यदि किसी दिव्यांग का एक अंग क्षतिग्रस्त होता है तो उसकी बाकी इंद्रिय शक्ति काफी मजबूत होती है |

रिसोर्स शिक्षक प्रसनजीत नाथ ने बताया कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अंतर्गत 21 प्रकार के दिव्यांगता के श्रेणी हो गए हैं एवं सभी को पहचान कर विद्यालय में नामांकित कराना अनिवार्य है नई शिक्षा नीति के तहत कोई भी बच्चा बिना नामांकन के नहीं रहना चाहिए बच्चे को सरकारी योजनाओं को लाभ दिलवाने में आंगनवाडी सेविकाओं का अहम भूमिका है |
रिसोर्स शिक्षिका सीमा कुमारी द्वारा दिव्यांग बच्चों को प्रदान किए जाने वाले सुविधाओं के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए बतलाया गया कि सरकारी सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनवाने की आवश्यकता होती है जिसकी प्रतिशत 40 या उससे ऊपर होने पर सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने के पात्र हो जाते हैं स्वामी विवेकानंद प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत दिव्यांग बच्चों को₹1000 प्रति महीने दिए जाते हैं जो बच्चा विद्यालय में अध्यनरत है और विद्यालय आने-जाने में यदि सहयोग की आवश्यकता होती है तो उसके सहयोगी को ₹500 प्रति महीना शिक्षा विभाग से प्रदान किया जाता है इसके अलावे दृष्टि बाधित बच्चों को पढ़कर सुनाने वाले सहयोगी को ₹500 प्रति महीने रीडर अलाउंस के रूप में प्रदान किया जाता है प्रति वर्ष उन्हें शिविर के माध्यम से सहायक यंत्र उपलब्ध कराया जाता है विद्यालय में बच्चों के लिए वाधारहित वातावरण को ध्यान में रखकर रैंप की व्यवस्था की गई है |
मंच का संचालन प्राथमिक विद्यालय मिर्गी स्वादा के प्रभारी श्री जयदेव त्रिपाठी ने किया इस मौके पर सरायकेला प्रखंड के MIS राहुल घोष एवं जिले के सभी प्रखंड के रिसोर्स शिक्षक एवं फिजियोथैरेपिस्ट उपस्थित थे |