» सुभाष आनंद
Punjab Fake Village Scam : पंजाब में मनरेगा स्कीम घोटालों का महाकुंभ बनती जा रही है। नित नए घोटालों का पर्दाफाश हो रहा है,जिसके कारण सरकार की बदनामी बढ़ती जा रही है। मनरेगा में धांधली को रोकने के लिए सरकार ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। इसको लेकर केंद्र सरकार ने भी नोटिस जारी किया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों को नई गाइडलाइन भेजकर तत्काल प्रभाव से इस पर अमल करने के आदेश दिए हैं। शिकायतकर्ताओं की शिकायतें सुनने के लिए शीघ्र ही जिला स्तरों पर लोकपालों की नियुक्ति की जाएगी, कार्यों की निगरानी के लिए निर्धारित डिजिटल टेक्नोलॉजी की अनदेखी करने वालों को अब बक्शा नहीं जाएगा। देखने में आया है कि कई गांवों के सरपंचों ने अपने पूरे परिवार को मनरेगा में अवैध रूप से शामिल कर रखा है और लाखों रुपए के घोटाले करने में लगे हुए हैं । पंजाब में कई क्षेत्रों में ग्रामीण लोगों को मनरेगा का पूरा लाभ नहीं मिल रहा बल्कि अधिकारी गरीब मजदूरों का खुलकर शोषण कर रहे हैं ।पंजाब में कई पंचायतें मनरेगा का दुरुपयोग करके खुली लूट मचा रही है ,कई सरकारी अधिकारी भी इस लूट में शामिल हो रहे हैं।
फिरोजपुर में तो एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें अधिकारियों ने एक ऐसा गांव बना दिया जो असल में मौजूद ही नहीं है। सरकार ने इस गांव के विकास पर 43 लाख रुपये खर्च कर दिए । इस काल्पनिक गांव का नाम ‘न्यू गट्टी राजो की’ बताया गया है। इसे सरकारी कागज़ों में ‘गट्टी राजो की’ गांव के पास दिखाया गया है। गूगल मैप पर तो इस गांव का कोई अस्तित्व ही नहीं है।
इस मामले में सामने आया कि पंजाब सरकार ने ‘न्यू गट्टी राजो की’ नाम से एक अलग फर्जी पंचायत बनाई और इस फर्जी गांव के नाम पर विकास कार्यों के लिए मोटी रकम दी गई।
कागजी गांव को मिला असली से ज्यादा पैसा
जांच में खुलासा हुआ कि असली गट्टी राजो की गांव के लिए 80 मनरेगा जॉब कार्ड बने थे, जबकि फर्जी गांव के लिए 140 कार्ड बनाए गए। असली गांव में केवल 35 विकास कार्य हुए, जबकि फर्जी गांव में 55 काम कागज़ों पर दर्ज किए गए। इनमें सेना के बांध की सफाई, पशु शेड, स्कूल पार्क, सड़कों और इंटरलॉकिंग टाइल्स जैसे कार्य शामिल थे।
कैसे रुकेगी धांधली
मनरेगा में धांधली आखिरकार कैसे रुकेगी? इस पर कहा गया है कि शिकायतों का निपटारा करने के लिए अफसरशाही भी किसी हद तक दोषी है। इसके लिए जिला स्तर पर लोकपाल नियुक्त किए जाएंगे ,लेकिन अभी तक स्थिति ठीक नहीं है। सभी राज्यों को आदेश दिए गए हैं जहां लोकपाल नियुक्त नहीं होंगे उस राज्य का बजट रोक लिया जाएगा। दूसरे प्रावधान के अधीन निगरानी करने वाले लोगों का दायरा बढ़ा दिया गया है।
जब धरातल पर मनरेगा में काम करने वाले लोगों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मनरेगा के द्वारा खुले तौर पर सरकारी अधिकारी ग्राम पंचायत के सरपंचों के साथ मिलकर लूट रहे हैं। यदि कोई शिकायत करते हैं तो उल्टा हम पर ही गुस्सा निकाला जाता है । दिल्ली में बैठे बड़े आला अफसरों ने माना है कि राज्य सरकारें मनरेगा में बड़े-बड़े घोटालों पर चुप्पी साधे हुए हैं ,लेकिन अब केंद्र सरकार ने जो कदम उठाए हैं उससे किसी हद तक मनरेगा में धांधली कम हो जाएगी, यदि कोई घोटाला होता है तो उसके लिए सीधे-सीधे जिले के डिप्टी कमिश्नर को दोषी माना जाएगा। स्थानीय स्तर पर होने वाले कार्यों की शिकायतों को गंभीरता से लिया जाएगा और दोषी पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। भ्रष्टाचार रोकने की प्रणाली को ना अपनाए जाने पर केंद्र ने राज्य सरकारों को अपनी नाराजगी प्रकट करते हुए फंड रोकने तक की धमकी दी है ।
उधर ,पंजाब सरकार का कोई अधिकारी आधिकारिक तौर पर मनरेगा में फंड्स के दुरुपयोग पर बोलने के लिए तैयार नहीं हैं लेकिन दबी जुबान में मानते हैं कि मनरेगा भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा साधन है, जिसमें जिले के छोटे अधिकारियों से लेकर बड़े अधिकारी तक शामिल है।
मनरेगा का भ्रष्टाचार और गड़बड़ी को रोकने के लिए मंत्रालय ने सभी राज्यों को एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें ग्राम पंचायत के प्रमुखों से लेकर विधायक और सांसदों के प्रतिनिधियों को शामिल करने का आदेश है ,इसमें केवल विधायकों और सांसदों के प्रतिनिधियों के शामिल होने की बात कही गई है, इससे मनरेगा में गुणवत्ता पूर्ण कार्य करने के साथ-साथ जरूरतमंद लोगों को रोजगार मिलने का अवसर मिलेगा।
मूलतः मनरेगा एक स्कीम नहीं बल्कि एक कानून है जिसके अधीन ग्रामीण मजदूरों की ओर से जितना काम मांगा जाएगा उसी के अनुसार बजट का प्रावधान किया जाएगा। केंद्र सरकार की तरफ से राज्य प्रशासन और स्थानीय प्रतिनिधियों का सहयोग लिया जाएगा। स्थानीय लोगों का सहयोग लेने की प्लानिंग लगभग अंतिम निर्णय तक पहुंच चुकी है। जिला पंचायत के प्रस्तावित कार्यों की निगरानी स्थानीय जनप्रतिनिधियों का समूह करेगा।(विनायक फीचर्स)