DMFT Jharkhand Corruption (प्रकाश कुमार गुप्ता) : झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री एवं भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष बड़कुंवर गागराई ने अपने चाईबासा स्थित आवासीय कार्यालय में एक विशेष प्रेस वार्ता आयोजित कर “जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT)” के नाम पर हो रहे कथित भ्रष्टाचार पर गहरा रोष प्रकट किया। उन्होंने कहा कि यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसका उद्देश्य खनिज संपन्न क्षेत्रों में रहने वाले आम लोगों के जीवन में समग्र विकास लाना है। लेकिन अफसोस की बात है कि झारखंड में इस योजना की आत्मा को कुचला जा रहा है।
गागराई ने भावुक स्वर में कहा कि “डीएमएफटी का मूल उद्देश्य था कि खनिज खदानों से जो भी राजस्व प्राप्त हो, वह सीधे स्थानीय जनता के कल्याण और उनके क्षेत्र के विकास में लगे। लेकिन आज हालात यह हैं कि ना तो ग्रामसभा की सहमति ली जा रही है, ना ही आम जनता को कोई जानकारी दी जा रही है। योजनाएं केवल कागजों पर बन रही हैं और धरातल पर कुछ नहीं दिख रहा।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जलपाई योजना, जो कि जनता के हित के लिए लाई गई थी, आज विवादों के घेरे में है। उन्होंने कहा, “जिले में सुनियोजित तरीके से लूट मची है। जिला योजना समिति केवल नाम की रह गई है। कार्यकारी एजेंसी का कोई ठिकाना नहीं है। उनके पास ना बिलिंग सिस्टम है, ना इंजीनियरिंग सेल, लेकिन फिर भी उन्हें 40 करोड़ की योजनाएं सौंप दी गई हैं। यह कैसे संभव है?”

पूर्व मंत्री ने यह भी खुलासा किया कि जिन योजनाओं के टेंडर हो चुके हैं, उनका न तो अब तक एग्रीमेंट हुआ है और ना ही संवेदकों को भुगतान किया गया है। संवेदक दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। उन्होंने कहा, “संवेदकों का शोषण हो रहा है। काम करवाया गया लेकिन भुगतान नहीं किया गया। जब जानकारी ली गई तो पता चला कि बिना ‘चढ़ावा’ दिए कोई काम आगे नहीं बढ़ेगा। यह प्रशासन की स्थिति है?”
गागराई ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा कि भाजपा इस विषय को लेकर सड़क से लेकर संसद तक आवाज उठाएगी और यदि जरूरत पड़ी तो न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाएगी। उन्होंने स्पष्ट कहा, “हम चुप नहीं बैठेंगे। गांव-गांव जाएंगे, जन-जागरण करेंगे, स्थानीय मुंडा, मानकी, मुखिया से संवाद करेंगे। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।”
उन्होंने यह भी चिंता जताई कि कार्यों का आवंटन पारदर्शी तरीके से नहीं हो रहा। स्थानीय समाचार पत्रों में निविदाएं नहीं प्रकाशित हुईं, और जब सवाल उठाया गया, तो जवाब मिला कि निविदा निकल गई है। लेकिन कोई प्रमाण नहीं दिखाया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि एक कंपनी, जो गुजरात के सिलवासा की है, उसे कार्य सौंप दिया गया है – यह स्थानीय संवेदकों और युवाओं के साथ अन्याय है।
प्रेस वार्ता का समापन करते हुए बड़कुंवर गागराई ने भावनात्मक रूप से कहा, “यह खनिज हमारी धरती का वरदान है। लेकिन इसे अभिशाप बनाया जा रहा है। हम ऐसा नहीं होने देंगे। यह केवल खनिज नहीं, हमारे क्षेत्र की आशा, हमारे बच्चों का भविष्य और हमारी पहचान का सवाल है।”
इस प्रेस वार्ता ने जिले में राजनीतिक हलचल मचा दी है और आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ सकता है।