विप्र समाज की एकजुटता और परंपराओं का जीवंत प्रतीक बना ठाकुरबाड़ी परिसर
Chaiabasa Thakurbari Fest (प्रकाश कुमार गुप्ता) : भगवान परशुराम जन्मोत्सव के पावन अवसर पर चाईबासा के ठाकुरबाड़ी परिसर में एक भव्य धार्मिक आयोजन का साक्षी बना। विप्र फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में श्रद्धा, भक्ति, सेवा और सामाजिक एकजुटता का अद्वितीय संगम देखने को मिला। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाजबंधु, श्रद्धालु एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवान परशुराम की पूजा-अर्चना से हुई, जिसे श्रद्धापूर्वक राजकुमार शर्मा (बुल्टी पंडित), कैलाश चौबे एवं पुजारी प्रदीप दुबे ने संपन्न कराया। संस्था के अध्यक्ष राजू चौबे की अध्यक्षता में इस आयोजन की विधिवत रूपरेखा तैयार की गई थी।
पूजन उपरांत प्रसाद वितरण एवं सेवा कार्यक्रम में विप्र महिला समिति की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही। समिति की सदस्यों ने श्रद्धालुजनों को न केवल प्रसाद वितरित किया, बल्कि चिलचिलाती गर्मी को देखते हुए आम जन, राहगीरों एवं बच्चों के बीच शीतल जल, मीठा तरबूज और आइसक्रीम का निःशुल्क वितरण भी किया। इस सेवा कार्य ने उपस्थित लोगों को आत्मिक और शारीरिक राहत प्रदान की तथा समाजसेवा का संदेश भी दिया।
इस अवसर पर एक गौरवपूर्ण क्षण उस समय आया जब चाईबासा के ही आनंद शर्मा को जयपुर स्थित “Centre for Excellence and Research” में उनके सराहनीय योगदान के लिए जिला अध्यक्ष राजेश चौबे द्वारा प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। यह सम्मान ना केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों का प्रतिफल था, बल्कि चाईबासा विप्र समाज की प्रतिष्ठा को भी गौरवान्वित करने वाला क्षण था।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित गणमान्यजनों में शामिल रहे:
राजेश चौबे, जितेन्द्र चौबे, सुशील चौबे, रमेश चौमाल, पुरुषोत्तम शर्मा, कैलाश शर्मा, पवन शर्मा, विक्की शर्मा, रमेश चौबे, दिलीप चिरानिया, मुन्ना शर्मा, निशान चौबे, राजेश शर्मा, अभिषेक चौबे, शशिकांत शर्मा, विनोद धामा, आनंद शर्मा, भुवन शर्मा एवं अन्य समाजसेवीगण।
विप्र महिला समिति की सक्रिय पदाधिकारी एवं सदस्याएं थीं:
अध्यक्ष उर्मिला शर्मा, उपाध्यक्ष सविता शर्मा, उप सचिव ज्योति शर्मा, कोषाध्यक्ष चंदा शर्मा, नेहा शर्मा, पिंकी शर्मा, रिका जोशी, प्रतिमा चौमाल, अंजू शर्मा, संगीता शर्मा, माया दाहिमा, कांता चौमाल, सीमा जोशी, रीमा एवं अन्य।
सभी सदस्यों ने मिलकर इस आयोजन को सफल और स्मरणीय बनाने में तन-मन-धन से सहयोग किया। कार्यक्रम ने न केवल भगवान परशुराम के जीवन मूल्यों और संघर्षों को स्मरण कराया, बल्कि सामाजिक समरसता, नारी शक्ति की सक्रिय भागीदारी और धर्म-संस्कृति के संरक्षण की प्रेरणा भी दी।