चाईबासा में अफीम की खेती, साइबर ठगी और कानूनी अधिकारों पर विधिक जागरूकता
Chaibasa Legal Awareness Campaign (प्रकाश कुमार गुप्ता) : झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, रांची के निर्देशानुसार, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा द्वारा आयोजित 90 दिवसीय डोर टू डोर जागरूकता अभियान के तहत एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह जागरूकता अभियान आज मांगी लाल रूंगटा उच्च विद्यालय चाईबासा में छात्रों के बीच हुआ, जिसमें साइबर अपराध, अफीम की खेती और विधिक अधिकारों के बारे में जानकारी दी गई।
इस कार्यक्रम में सदर थाना प्रभारी तरुण कुमार और साइबर संबंधित मामलों के पीएलवी श्री सूरज कुमार ठाकुर ने छात्रों को विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) से मिलने वाले लाभ, अफीम की खेती के खिलाफ कानूनी प्रावधान, और साइबर ठगी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से आए छात्रों ने कार्यक्रम में अत्यधिक उत्साह और भागीदारी दिखाई, जो कि कार्यक्रम की सफलता में सहायक रहे।
कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को उनके कानूनी अधिकारों, साइबर अपराध से बचाव और विभिन्न विधिक मुद्दों पर जागरूक करना था। P L V सूरज कुमार ठाकुर ने छात्रों को निशुल्क कानूनी सहायता, बाल विवाह, पोक्सो एक्ट, घरेलू हिंसा, डायन प्रथा, बाल मजदूरी, सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में अधिकार, और लोक अदालत जैसे मुद्दों पर जानकारी प्रदान की। उन्होंने विशेष रूप से अफीम की खेती के खिलाफ कानूनों के बारे में बताया, जिसमें एनडीपीएस की धारा 18(सी)/20/16 के अनुसार अवैध अफीम की खेती करने पर 10 साल तक की सजा और एक लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। अफीम के व्यापार पर 20 साल की सजा और दो लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
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इसके अलावा, श्री सूरज ने विद्यार्थियों को साइबर ठगी के बारे में सतर्क रहने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि यदि किसी अनजान नंबर से फोन या संदेश आए और कोई व्यक्ति उन्हें धोखाधड़ी का शिकार बनाने की कोशिश करे, तो उन्हें तुरंत 1930 पर कॉल करके शिकायत करनी चाहिए और नजदीकी थाना में सूचित करना चाहिए।
तरुण कुमार ने अफीम की खेती के खिलाफ प्रशासन द्वारा चलाए गए अभियानों की जानकारी दी और छात्रों से अपील की कि वे ऐसे अपराधों की सूचना तुरंत पुलिस को दें। उन्होंने दुर्घटनाओं के मामलों में मदद के लिए 112 डायल नंबर भी साझा किए।
अधिकार मित्र सूरज कुमार ठाकुर और अल्कमा रूही ने इस कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों को यह विश्वास दिलाया कि उन्हें कभी भी अपने अधिकारों से समझौता नहीं करना चाहिए। यदि उन्हें कभी भी कानूनी सहायता की आवश्यकता हो, तो वे झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से मदद ले सकते हैं।
कार्यक्रम के अंत में, छात्रों और शिक्षकों ने इस महत्वपूर्ण विधिक जागरूकता कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी भूमिका निभाई और इसने सभी को उनके कानूनी अधिकारों और न्याय की प्रक्रिया के बारे में जागरूक किया। यह अभियान उन सभी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है, जो अपनी कानूनी सहायता की जरूरत महसूस करते हैं।