हाथीयों की मौत की संख्या में लगातार बढ़ोतरी से वन विभाग के पास बड़ी चुनौती
Elephant death in Jharkhand – सरायकेला-खरसावां जिला के चांडिल वन क्षेत्र के नीमडीह प्रखंड के चातरमा गांव के कीचड़ नुमा खेत में गीरने से इलाज के दौरान करीब एक महीने से बीमारी से ग्रस्त एक हाथी की मौत हो गई। रविवार को पशु चिकित्सा पदाधिकारी का टीम द्वारा पोस्टमार्टम कर हाथी को बगल में ही दफनाया गया। हाथी की मौत के बाद स्थानीय लोगों ने फुल अगरवत्ती से मृत हाथी का पूजा पाठ भी किया गया।मिली जानकारी के अनुसार शनिवार को हाथी एक दलदल खेत में फंस गया और चाहकर भी दलदल से निकल नहीं पाया। वन विभाग को सुचना मिलते ही रेंजर शशि प्रकाश रंजन,वन पाल राधारमण ठाकुर,राणा प्रताप, पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ के के चौधरी पहुंचे और हाथी चिकित्सकों का टीम द्वारा हाथी का इलाज प्रारंभ किया। वन पाल राधारमण ठाकुर से बात करने से बताया गया कि स्थानीय चिकित्सक एवं गुजरात के स्पेशल चिकित्सकों की टीम द्वारा हाथी का इलाज किया गया। उन्होंने बताया कि 45 बोतल स्लाइन चढ़ाया गया। काफी प्रयास के बाद भी हाथी को बचाने में चिकित्सकों का दल नाकाम रहे।देर रात को हाथी की मौत हो गई। हांलांकि रात भर वन विभाग के पदाधिकारी घटनास्थल पर डटे रहे।बताया जा रहा है कि एक माह से बीमार चल रहे हाथी को ठीक करने के लिए 10 लाख रुपए वन विभाग द्वारा खर्च किया गया ।
दो वर्ष में 6 हाथीयों की विभिन्न घटनाओं से हुई है मौत
दो वर्षों में ईचागढ, कुकड़ू एवं नीमडीह प्रखंड क्षेत्र में विभिन्न घटनाओं से 6 हाथियों की मौत हो गई है। वहीं बीते कई वर्षों के अंदर दर्जन भर हाथियों की मौत हो गई है। आए दिन हाथियों की विभिन्न कारणों से हो रही मौत वन विभाग की लापरवाही या तो हाथी मानव संघर्ष का नतीजा है,जो मृत्यु दर को रोकना वन विभाग के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगा।



