Jamshedpur : लोको पायलट बने आपदा में संकटमोचक – रेल सिविल डिफेंस द्वारा आगजनी व सर्पदंश से निपटने का भावनात्मक और व्यावहारिक प्रशिक्षण
Jamshedpur (प्रकाश कुमार गुप्ता): रेल यात्राओं की रीढ़ माने जाने वाले लोको पायलटों को अब सिर्फ ट्रेन चलाने तक सीमित नहीं रखा जा रहा, बल्कि उन्हें आपदा की घड़ी में भी प्रभावी निर्णय लेने वाले ‘संकटमोचक’ के रूप में तैयार किया जा रहा है। इसी क्रम में रेल सिविल डिफेंस, टाटानगर द्वारा इलेक्ट्रिक लोको पायलट ट्रेनिंग सेंटर में गुरुवार देर शाम एक दिवसीय आपदा राहत कार्य प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।
इस प्रशिक्षण का उद्देश्य था कि ट्रेन में आग लगने या इंजन में सर्पदंश जैसी आपात स्थितियों में लोको पायलट कैसे तुरंत, विवेकपूर्ण और सुरक्षित निर्णय लें, ताकि यात्रियों की जान बचाई जा सके।
आग लगने की स्थिति में त्वरित कार्रवाई का प्रशिक्षण
सिविल डिफेंस इंस्पेक्टर संतोष कुमार ने चरण-दर-चरण बताया कि अगर ट्रेन में आग लगती है तो सबसे पहले इंजन की फ्लैशर लाइट जलाकर ट्रेन को उपयुक्त स्थान पर रोका जाए, यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला जाए, और स्टेशन मास्टर को तत्काल सूचना दी जाए।
उन्होंने यह भी बताया कि जिस कोच में आग लगी हो, उसे अन्य डिब्बों से कम से कम 45 मीटर दूर अलग कर देना, रोलिंग से बचाव हेतु प्रोटेक्शन देना, और फायर एक्सटिंग्विशर का सही तरीके से उपयोग करना अत्यंत जरूरी है। ‘PASS रूल’ (Pull, Aim, Squeeze, Sweep) के माध्यम से पायलटों को फायर फाइटिंग तकनीक सिखाई गई।

इंजन में सांप घुसने और सर्पदंश पर विशेष सत्र
प्रशिक्षण के दूसरे सत्र में इंजन में सर्पदंश की स्थिति में बचाव और प्राथमिक उपचार पर जानकारी दी गई। यह प्रशिक्षण विशेष रूप से जंगल और पठारी क्षेत्रों में कार्यरत लोको पायलटों के लिए उपयोगी रहा।
एक उदाहरण देते हुए बताया गया कि खड़गपुर लोको शेड में एक बार कोबरा सांप इंजन के सैंड बॉक्स में पाया गया था। ऐसे में पायलटों को विषैला और विषहीन सर्पदंश की पहचान, बेसिक फर्स्ट एड और घबराहट से बचने के उपायों को टेलीफिल्म व प्रजेंटेशन के माध्यम से समझाया गया।
चार मंडलों के लोको पायलटों ने लिया भाग
इस शिविर में दक्षिण पूर्व रेलवे के रांची, चक्रधरपुर, आद्रा और खड़गपुर मंडलों से आए सैकड़ों लोको पायलटों ने भाग लिया। पायलटों ने इस व्यावहारिक और मानसिक रूप से सशक्त करने वाले प्रशिक्षण की सराहना की और कहा कि ऐसे शिविर उनके आत्मविश्वास और आपदा से निपटने की क्षमता को कई गुना बढ़ाते हैं।
लोको पायलट: सिर्फ चालक नहीं, सुरक्षा के रक्षक भी
इस प्रशिक्षण शिविर ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया कि लोको पायलट सिर्फ ट्रेनों के चालक नहीं, बल्कि आपातकालीन परिस्थितियों में यात्रियों की जान बचाने वाले असली नायक भी हैं। इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल सुरक्षा तंत्र को मजबूत करते हैं, बल्कि लोको पायलटों को एक प्रशिक्षित, सजग और जिम्मेदार नेतृत्वकर्ता के रूप में तैयार करते हैं।
रेल सिविल डिफेंस की यह पहल भविष्य की किसी भी आपदा का मुकाबला करने के लिए लोको पायलटों को तैयार करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रही है।