New Delhi : डॉलर नहीं छोड़ेगा भारत, लेकिन रुपया व्यापार बढ़ाने की रणनीति पर कायम BRICS
New Delhi : BRICS देशों में चल रहे तनाव और अमेरिका की ओर से बढ़ाए गए टैरिफ के बीच भारत ने अपनी वित्तीय नीति को स्पष्ट कर दिया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने साफ किया है कि “De-dollarization is not part of India’s financial agenda” यानी भारत डॉलर को पूरी तरह छोड़ने के पक्ष में नहीं है, लेकिन रुपया-आधारित व्यापार को विस्तार देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
डॉलर से दूरी नहीं, लेकिन रुपया व्यापार पर जोर
MEA के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि भारत का लक्ष्य डॉलर को छोड़ना नहीं है, बल्कि व्यापारिक जोखिमों को कम करना और पार्टनर देशों के साथ विकल्प मजबूत करना है।
भारत ने हाल के वर्षों में कई देशों के साथ स्थानीय मुद्रा में व्यापार के समझौते किए हैं, जिनमें UAE, रूस और मालदीव शामिल हैं। नवंबर 2024 से भारत और मालदीव के बीच सीधे रुपया-रुफिया सेटलमेंट की शुरुआत हुई। वहीं, UAE और कई अफ्रीकी देशों के साथ भी इस दिशा में बातचीत चल रही है।
BRICS और भारत की रणनीतिक स्वायत्तता
BRICS के अन्य देश – ब्राज़ील, चीन और रूस – डॉलर के विकल्प की वकालत कर रहे हैं और BRICS मुद्रा या BRICS Pay जैसे प्रोजेक्ट को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं। लेकिन भारत “Strategic Autonomy” पर अडिग है।
भारत का मानना है कि एशिया और अन्य हिस्सों में अभी इतना आर्थिक एकीकरण नहीं है कि कोई साझा मुद्रा लागू की जा सके। भारत की कोशिश है कि वह अमेरिका और रूस दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखे।
ट्रंप टैरिफ और भारत पर असर
अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में भारतीय वस्तुओं पर 50% तक का टैरिफ लगाया है। इसमें झींगा, केमिकल्स, टेक्सटाइल्स, ज्वेलरी और मशीन पार्ट्स जैसे सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
ट्रंप प्रशासन का आरोप है कि भारत अब भी रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है। इसी वजह से अमेरिका-भारत के बीच आर्थिक तनाव और गहरा गया है।
BRICS देशों ने इन टैरिफ को “Unilateral और Unfair” बताते हुए आलोचना की है और डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए अपने वित्तीय ढांचे को और मजबूत करने का निर्णय लिया है।