समस्या जस की तस : Potka में पेयजल संकट गहराया, विभाग व सरकार मौन
ग्रामीणों का प्रदर्शन, पूर्व जिला पार्षद ने की हस्तक्षेप कर मरम्मत की मांग
Potka (Jamshedpur), संवाददाता
पोटका प्रखंड में पेयजल संकट अब विकराल रूप ले चुका है। क्षेत्र के 34 पंचायतों में जलसंकट की स्थिति भयावह होती जा रही है। कहीं चापाकल लंबे समय से खराब पड़े हैं, तो कहीं जलमिनारें वर्षों से बेकार हैं। लेकिन न विभाग, न जनप्रतिनिधि और न ही सरकार इस गंभीर समस्या के प्रति संवेदनशील नजर आ रही है।
शंकरदा गांव के जुगुडीह टोला में हालात इतने बिगड़ गए कि महिलाओं ने खराब चापाकल के सामने प्रदर्शन किया। ग्रामीणों की शिकायत है कि महीनों से जलमिनार खराब है और चापाकल भी बंद पड़े हैं। इसके बावजूद पंचायत से लेकर प्रखंड स्तर तक लगातार शिकायतों के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला।
इस मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने पूर्व जिला पार्षद करुणामय मंडल से संपर्क किया। श्री मंडल ने तत्काल पोटका के प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं संबंधित विभागीय जूनियर इंजीनियर से बात कर वस्तुस्थिति से अवगत कराया और अविलंब मरम्मती की मांग की।
पूर्व पार्षद ने कहा, “अगर व्यवस्था जनता के मौलिक अधिकारों की भी रक्षा नहीं कर सकती, तो ऐसी व्यवस्था को धिक्कार है।”
उन्होंने आगे कहा कि विकास के नाम पर शिलान्यास कर अपनी पीठ थपथपाने वाले नेता आज जनता की सुध लेने तक को तैयार नहीं हैं, जबकि उन्हीं जनता ने उन्हें कुर्सी तक पहुँचाया है।
पेयजल जैसी बुनियादी आवश्यकता के लिए आवेदन देने के एक माह बाद भी समाधान न मिलना प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है। हालांकि, बीडीओ द्वारा समस्या को गंभीरता से लेने और त्वरित कार्रवाई का आश्वासन देने के बाद ग्रामीणों को उम्मीद की किरण नजर आई है।
अब देखना यह होगा कि आश्वासन कब तक अमल में लाया जाता है और पोटका की जनता को इस जल संकट से कब निजात मिलेगी।