पांव-पांव वाले भैया की वापसी: 34 साल बाद फिर पदयात्रा पर निकले Shivraj Singh Chouhan
राजनीति में नए संकेत, केंद्र की सक्रियता के बीच परिवार संग कर रहे हैं जनसंपर्क
कभी ‘पांव-पांव वाले भैया’ के नाम से पहचाने जाने वाले शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर अपने पुराने अंदाज़ में नजर आ रहे हैं। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों अपने लोकसभा क्षेत्र में पदयात्रा पर हैं। यह वही पदयात्रा है, जो उन्होंने 1991 में पहली बार सांसद बनने के बाद की थी। करीब 34 साल बाद उन्होंने फिर से इसी धरती पर पैदल चलकर जनसंपर्क का निर्णय लिया है।
शिवराज सिंह चौहान इस यात्रा को केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रचार और जनता से संवाद का माध्यम बता रहे हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे महज जनसंपर्क यात्रा नहीं माना जा रहा। जानकारों का मानना है कि इस पदयात्रा के पीछे कहीं न कहीं राजनीति की एक बड़ी तैयारी छिपी हुई है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और संभावनाएं
मध्य प्रदेश के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिने जाने वाले शिवराज सिंह चौहान का यह कदम ऐसे समय पर आया है, जब भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर चर्चाएं तेज हैं। सूत्रों की मानें तो इस पद के लिए शिवराज सिंह चौहान का नाम भी संभावित दावेदारों में शामिल है। पदयात्रा के जरिये वे न सिर्फ अपनी मौजूदगी को फिर से स्थापित कर रहे हैं, बल्कि यह संकेत भी दे रहे हैं कि वे अभी राजनीति के केंद्र में हैं।
लोकसभा क्षेत्र में फिर से सक्रियता
शिवराज सिंह चौहान जब से केंद्र में मंत्री बने हैं, उन्होंने प्रदेश की राजनीति में अपनी सक्रियता कम कर दी थी। लेकिन पिछले एक साल से वे लगातार विदिशा-रायसेन लोकसभा क्षेत्र पर फोकस कर रहे हैं। अब इस पदयात्रा के जरिए वे क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों—गंजबासौदा, विदिशा, सांची, भोजपुर, सिलवानी, बुधनी, इछावर और खातेगांव—में सीधा जनसंपर्क कर रहे हैं।
परिवार की भागीदारी: एक नई शुरुआत का संकेत?
1991 की पदयात्रा में शिवराज सिंह चौहान अकेले चल रहे थे, लेकिन इस बार उनके साथ उनकी पत्नी साधना सिंह, पुत्र कार्तिकेय चौहान और पुत्रवधु अमानत चौहान भी कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। यह भागीदारी कहीं न कहीं आने वाले समय में परिवार की सक्रिय राजनीतिक भूमिका की ओर भी संकेत करती है।
सिर्फ पदयात्रा नहीं, संदेश भी है
शिवराज सिंह चौहान की यह पदयात्रा भले ही सप्ताह में कुछ दिनों तक और प्रतिदिन 7 से 10 किलोमीटर की हो, लेकिन इसका असर दीर्घकालिक माना जा रहा है। यह यात्रा न केवल भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने का कार्य कर रही है, बल्कि जनता के बीच उनकी पुरानी ‘भाई-मामा’ वाली छवि को भी फिर से जीवंत कर रही है।
निष्कर्ष
शिवराज सिंह चौहान की यह पदयात्रा महज एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। यह न सिर्फ प्रदेश में उनकी उपस्थिति को फिर से मजबूत कर रही है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी उनके बढ़ते कद का संकेत दे रही है। देखना होगा कि ‘पांव-पांव वाले भैया’ की यह पदयात्रा किस नए मुकाम की ओर जाती है।