tribal land rights Jharkhand (प्रकाश कुमार गुप्ता) : झारखंड पुनरुत्थान अभियान के बैनर तले सोमवार को सदर अनुमंडल कार्यालय के समक्ष एक दिवसीय शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता और संचालन जिला संयोजक अमृत मांझी ने किया। यह प्रदर्शन जिला भू-अर्जन पदाधिकारी और सदर अंचल अधिकारी के खिलाफ आयोजित किया गया, जिन पर कोल्हान क्षेत्र में पारंपरिक स्वशासन, संवैधानिक अधिकारों और जनजातीय गरिमा की अनदेखी कर मनमानी प्रशासनिक कार्रवाई करने का आरोप लगाया गया।
प्रदर्शन में वक्ताओं ने बताया कि जिला प्रशासन को कोल्हान क्षेत्र के ऐतिहासिक और संवैधानिक महत्व को समझना चाहिए। मुख्य वक्ता सन्नी सिंकु ने कहा कि यह वही कोल्हान है, जहां के विद्रोहों के कारण 1833 में ब्रिटिश शासन ने रेगुलेशन XIII के तहत इसे गैर-विनियमित क्षेत्र घोषित किया था। इसके बाद ‘विलकिंसन नियम’ लागू कर आदिवासी स्वशासन प्रणाली को मान्यता दी गई थी, जिसमें मानकी-मुंडा व्यवस्था के तहत ग्रामस्तरीय प्रशासनिक संरचना को अधिकार दिए गए थे।

उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान जिला भू-अर्जन पदाधिकारी और सदर अंचल अधिकारी इन संवैधानिक और पारंपरिक व्यवस्थाओं की पूरी तरह अवहेलना कर रहे हैं। कोल्हान जैसे अनुसूचित क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के दौरान ग्रामसभा, रैयतों की सहमति और मानकी-मुंडा से परामर्श जैसे अनिवार्य प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है।
झारखंड पुनरुत्थान अभियान के संस्थापक व पूर्व राज्यसभा सांसद दुर्गा प्रसाद जमुदा ने कहा कि आदिवासी बहुल क्षेत्रों में विकास की अवधारणा पंचशील सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने वन अधिकार अधिनियम 2006, पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम 1996, और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास व पारदर्शिता अधिनियम 2013 जैसे महत्वपूर्ण कानूनों का हवाला देते हुए कहा कि इन कानूनों का उल्लंघन कर जिला प्रशासन आदिवासी अधिकारों का हनन कर रहा है।

रैयत संघर्ष समन्वय समिति, जगन्नाथपुर के अध्यक्ष सुमंत ज्योति सिंकु ने पूर्व जिला भू अर्जन पदाधिकारी की कार्यप्रणाली की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए जगन्नाथपुर बायपास सड़क परियोजना से पहले मानकी-मुंडाओं और रैयतों से संवाद किया था। वहीं, वर्तमान पदाधिकारी ने बिना ग्रामसभा और बिना रैयतों की सहमति के ही अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो पूरी तरह असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण है।
धरना को खूंटकट्टी रैयत रक्षा समिति के बलभद्र सवैया, हो समाज महासभा के घनश्याम गगराई, भारत आदिवासी पार्टी के सुशील बारला, झारखंड स्वशासन एकता संघ के कुसुम केराई, देसाउली बचाओ फाउंडेशन के साधो देवगम, झारखंड पार्टी के कोलंबस हांसदा, एडवोकेट महेंद्र जमुदा सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों और ग्रामीण प्रतिनिधियों ने संबोधित किया।
प्रदर्शन में कातीगुटु, टोटो, डोबरो बसा, सिंघपोखरिया, गीतिलपी, तुईवीर, तालाबुरू, सहित अनेक गांवों के मानकी, मुंडा और सैकड़ों रैयतगण शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में कहा कि वे अपनी बहुफसली, सिंचित कृषि भूमि को किसी भी कीमत पर बिना उचित प्रक्रिया और सहमति के अधिग्रहण नहीं होने देंगे।
धरना में वक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि जिला प्रशासन ने संवैधानिक प्रावधानों और पारंपरिक व्यवस्थाओं की अनदेखी कर भूमि अधिग्रहण की मनमानी प्रक्रिया जारी रखी, तो कोल्हान के आदिवासी मूलवासी उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।