Tribal Rights Jharkhand (प्रकाश कुमार गुप्ता) : झारखंड उच्च न्यायालय, रांची ने तामड़िया/तमारिया जाति के खिलाफ कार्मिक विभाग द्वारा दायर याचिका को खारिज कर आदिवासी समाज को बड़ी राहत दी है। इस निर्णय के बाद आदिवासी मुंडा समाज विकास समिति ने राज्य सरकार के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करने की चेतावनी दी है।
समिति के ज़िला अध्यक्ष हरिचरण सांडिल ने सोमवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि यह फैसला झारखंड सरकार की आदिवासी विरोधी मानसिकता को उजागर करता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में चाईबासा के लालजीराम तीयू द्वारा एक शिकायत के बाद तामड़िया जाति की वैधता को लेकर जांच शुरू हुई थी। खूंटी के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी कानूराम नाग पर आरोप लगाए गए थे कि वे मुंडा नहीं बल्कि तामड़िया जाति से हैं।
हालांकि, राज्य जाति छानबीन समिति ने 2016 में स्पष्ट किया कि तामड़िया/तामरिया जाति, मुंडा जनजाति की उपजाति है और इस तरह अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आती है। इसके बावजूद कार्मिक विभाग ने इस रिपोर्ट को हाई कोर्ट में चुनौती दी, जिसे 19 अप्रैल 2025 को न्यायमूर्ति गौतम कुमार चौधरी की अदालत ने खारिज कर दिया।
श्री सांडिल ने कहा कि इस फैसले से यह साबित होता है कि एक मूल आदिवासी अधिकारी को 12 वर्षों तक अन्यायपूर्वक निलंबित रखा गया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उन्होंने कहा कि इस अन्याय के खिलाफ अब मुंडा समाज राज्य सरकार पर मानहानि का मुकदमा दायर करेगा।
इस मुद्दे को लेकर शीघ्र ही जिला समिति की बैठक बुलाई जाएगी जिसमें केंद्रीय अध्यक्ष बुधराम लागुरी, महासचिव शंकर मुंडा, कोषाध्यक्ष पौदा मुंडा और समाज के अन्य वरिष्ठ सदस्य भाग लेंगे।