सब कुछ किसी तरह सामान्य चल ही रहा था कि अचानक एक दिन खेलते-खेलते यमुना विद्यालय परिसर में ही बेहोश होकर गिर पड़ी। अचानक गिरने और तेज धड़कन की शिकायत को अस्वाभाविक समझते हुए विद्यालय की वार्डेन ने तत्काल इसकी सूचना यमुना की मां सोमबारी देवी को दी। बच्ची की स्थिति गंभीर लगने पर चिकित्सकीय जांच कराई गई, जहां यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि 13 वर्षीय यमुना के दिल में छेद है।
यह भयावह सच सामने आते ही मां सोमबारी देवी पर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। गरीबी की मार झेल रही विधवा मां के लिए यह समझ पाना मुश्किल था कि इतनी महंगी और जटिल बीमारी का इलाज वह कैसे करा पाएंगी। आंखों में आंसू और मन में अनगिनत सवाल—बच्ची का भविष्य क्या होगा, इलाज कैसे संभव होगा—इन सबने उन्हें पूरी तरह तोड़ कर रख दिया।
यमुना और उसकी मां की इस दयनीय स्थिति को देखकर गांव के ही दो सहृदय और सामाजिक भावना से प्रेरित व्यक्ति फूलचंद लोहार एवं कमल बागती आगे आए। उन्होंने इस पूरे मामले की जानकारी पोटका के पूर्व जिला पार्षद करुणामय मंडल को दी और पीड़ित परिवार की व्यथा उनके समक्ष रखी।
मामले की गंभीरता को समझते हुए पूर्व जिला पार्षद करुणामय मंडल स्वयं पोटका प्रखंड अंतर्गत पोड़ा भूमरी गांव के न्यू टोला पहुंचे। उन्होंने पीड़िता यमुना से मुलाकात की, उसका हालचाल जाना और मां समेत पूरे परिवार को ढांढस बंधाया। श्री मंडल ने परिवार को भरोसा दिलाया कि बच्ची का इलाज किसी भी हाल में कराया जाएगा और इसके लिए वे स्वयं पहल करेंगे।
पूर्व जिला पार्षद करुणामय मंडल ने आश्वासन दिया कि बुधवार को यमुना को ब्रह्मानंद अस्पताल ले जाया जाएगा, जहां आयुष्मान भारत योजना के तहत उसकी समुचित चिकित्सकीय जांच और इलाज की व्यवस्था करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि गरीब और जरूरतमंद परिवारों को स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित नहीं रहने दिया जाएगा और यमुना के बेहतर इलाज के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
इस दौरान उनके साथ कमल बागती, गोपीनाथ मुर्मू, फूलचंद लोहार एवं सत्यानंद मंडल भी उपस्थित थे। सभी ने मिलकर परिवार को मानसिक संबल दिया और बच्ची के जल्द स्वस्थ होने की कामना की।
आज यमुना और उसकी मां की आंखों में फिर से उम्मीद की चमक दिखाई देने लगी है। समाज के जिम्मेदार लोगों की इस मानवीय पहल से यह संदेश जाता है कि संकट की घड़ी में यदि सहयोग का हाथ बढ़े, तो सबसे बड़ी समस्या भी हल की राह पर आ सकती है।



