Patna : महावीर मंदिर न्यास के सचिव और पूर्व आईपीएस अधिकारी Acharya Kishore Kunal का रविवार सुबह निधन हो गया। उन्हें कार्डियक अरेस्ट के बाद पटना के महावीर वत्सला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। 74 वर्षीय किशोर कुणाल धार्मिक और सामाजिक कार्यों में अपनी समर्पित सेवाओं के लिए जाने जाते थे।
कौन थे आचार्य किशोर कुणाल?
किशोर कुणाल का जन्म 10 अगस्त 1950 को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बरुराज गाँव में एक भूमिहार ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से इतिहास और संस्कृत में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। 1983 में मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में अपनी सेवा जारी रखी।
1972 में गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी के रूप में करियर शुरू करने वाले किशोर कुणाल 1983 में पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) बने। 2001 में आईपीएस से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष बने। इसके अलावा, उन्होंने पटना के चर्चित महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव के रूप में कई सामाजिक और धार्मिक पहल की शुरुआत की।
महावीर मंदिर के जीर्णोद्धार में निभाई बड़ी भूमिका
किशोर कुणाल ने महावीर मंदिर के जीर्णोद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में 1983 में मंदिर के पुनर्निर्माण कार्य की शुरुआत हुई, जिसका उद्घाटन 4 मार्च 1985 को हुआ। मंदिर ट्रस्ट के सचिव के रूप में उन्होंने महावीर कैंसर संस्थान और महावीर आरोग्य संस्थान जैसे कई अस्पतालों की स्थापना की। ट्रस्ट ने जरूरतमंदों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं और वित्तीय सहायता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया।
समाजसेवा के प्रति समर्पण
किशोर कुणाल ने पटना में ज्ञान निकेतन स्कूल की स्थापना की और गरीबों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया। उन्होंने महावीर नेत्रालय और महावीर आरोग्य संस्थान के माध्यम से आंखों की समस्याओं और अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों की मदद की। उनके नेतृत्व में महावीर ट्रस्ट ने चार बड़े अस्पताल स्थापित किए।
धार्मिक कार्यों में सक्रिय योगदान
आचार्य किशोर कुणाल को राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान अयोध्या विवाद के समाधान में उनकी भूमिका के लिए भी जाना जाता है। वे धार्मिक और ऐतिहासिक विषयों पर गहन ज्ञान रखते थे और उनके शिक्षकों में प्रसिद्ध इतिहासकार आर.एस. शर्मा और डी.एन. झा शामिल थे।
एक युग का अंत
आचार्य किशोर कुणाल का निधन न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनकी मृत्यु से धार्मिक और सामाजिक क्षेत्रों में एक गहरी शून्यता आ गई है।