illegal mining in Jharkhand (प्रकाश कुमार गुप्ता): एक समय था जब नोवामुंडी से चाईबासा तक की सड़कें लोहे के अयस्क से लदे ट्रकों की कतारों से पटी रहती थीं। अवैध खनन, फर्जी चालान और खनन माफियाओं की मिलीभगत ने इस इलाके को अवैध खनन का गढ़ बना दिया था। आम नागरिकों की दिनचर्या बाधित होती थी, और सड़कों पर चलना तक दूभर हो गया था।
हालांकि हाल के दिनों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। जब पूर्व मुख्यमंत्री श्री मधु कोड़ा ने स्वयं बिना वैध दस्तावेजों के चल रहे छह ट्रकों को पकड़ा और पुलिस को सौंपा, साथ ही खनन विभाग द्वारा जामदा क्षेत्र में दो और अवैध ट्रकों को रोका गया, तो स्थिति एकदम बदल गई। आज वहीं सड़कें, जो कभी खनिज ढोते वाहनों से अटी रहती थीं, लगभग 80% खाली हो चुकी हैं। यह सन्नाटा इस बात का प्रमाण है कि वर्षों से अवैध खनिज उत्खनन और परिवहन धड़ल्ले से चल रहा था।
यह घटनाक्रम सरकार और खनन विभाग के लिए एक चेतावनी है। यदि केवल कुछ सख्त कदम इतने बड़े परिवर्तन ला सकते हैं, तो एक संगठित और प्रभावी रणनीति पूरे रैकेट का अंत कर सकती है।

हमारी मांगें और सुझाव:
अवैध खनन पर पूर्ण विराम के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया जाए।
खनिज परिवहन की निगरानी के लिए GPS ट्रैकिंग और डिजिटल मॉनिटरिंग को अनिवार्य किया जाए।
फर्जी चालानों पर रोक लगाने के लिए तकनीकी समाधान लागू हों।
दोषी अधिकारियों और माफिया तंत्र के खिलाफ कठोर और समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
जनहित में यह अत्यंत आवश्यक है कि सरकार इस गंभीर मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता दे। अब जब पर्दा उठ चुका है, तो समाधान भी ठोस, पारदर्शी और परिणामदायक होना चाहिए।