Shibu Soren is no more – झारखंड की राजनीति के पितामह, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और राज्य के तीन बार के मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन अब इस दुनिया में नहीं रहे। 81 वर्ष की उम्र में उन्होंने 4 अगस्त 2025 की सुबह 8:48 बजे दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में आखिरी सांस ली।
पूरे झारखंड में ही नहीं, बल्कि देश भर में शोक की लहर दौड़ गई है। ‘दिशोम गुरु’ और ‘गुरुजी’ के नाम से मशहूर शिबू सोरेन का जाना झारखंड की राजनीति के एक युग का अंत है।
क्या हुआ था शिबू सोरेन को?
शिबू सोरेन 19 जून 2025 से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे। वह नेफ्रोलॉजी विभाग में इलाजरत थे और लंबे समय से किडनी, हृदय और डायबिटीज से जुड़ी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे।
डॉक्टरों की टीम ने बताया कि उन्हें किडनी की क्रॉनिक बीमारी, हृदय संबंधी जटिलताएं, डायबिटीज, और हाल ही में ब्रेन स्ट्रोक हुआ था। वह डायलिसिस पर थे और बायपास सर्जरी भी हो चुकी थी। जुलाई में स्वास्थ्य में हल्का सुधार हुआ था, मगर अगस्त की शुरुआत में हालत फिर बिगड़ गई।
अंततः उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया और तमाम प्रयासों के बावजूद डॉक्टर उन्हें नहीं बचा सके।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बोले – “मैं आज शून्य हो गया”
शिबू सोरेन के बेटे और वर्तमान झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिता के निधन पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा:
“गुरुजी अब हमारे बीच नहीं रहे। मैं आज शून्य हो गया हूँ। वह सिर्फ मेरे पिता नहीं, बल्कि पूरे आदिवासी समाज के मार्गदर्शक थे। उनका जाना अपूरणीय क्षति है।”
परिवार के सभी सदस्य – पत्नी कल्पना सोरेन, बेटे हेमंत और अन्य परिजन – अंतिम समय में उनके साथ थे।
कौन थे शिबू सोरेन?
शिबू सोरेन सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक आंदोलन, एक विचारधारा और एक परिवर्तन की कहानी हैं।
- जन्म: 11 जनवरी 1944, रामगढ़ (अब झारखंड में)
- राजनीतिक जीवन की शुरुआत: 1970 के दशक में महाजनी प्रथा के खिलाफ आदिवासी आंदोलन
- JMM की स्थापना: वर्ष 1973
- झारखंड राज्य आंदोलन के प्रमुख नेता
- दुमका से 8 बार लोकसभा सांसद, 3 बार राज्यसभा सांसद
- तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री
उनके पिता सोबरन मांझी की हत्या ने उन्हें सामाजिक लड़ाई के रास्ते पर ला खड़ा किया। उन्होंने आदिवासियों के हक, भूमि अधिकार, और झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए दशकों तक संघर्ष किया।
वर्ष 2000 में झारखंड का गठन हुआ, और यह उसी संघर्ष की सफलता थी।
राजनीतिक जीवन में विवाद भी रहे साथी
शिबू सोरेन का राजनीतिक जीवन संघर्ष और विवादों से भरा रहा। उन पर हत्या और भ्रष्टाचार के आरोप लगे, हालांकि कई मामलों में बाद में बरी भी हो गए। इसके बावजूद, वह आदिवासी समाज के एक मजबूत स्तंभ के रूप में हमेशा देखे गए।
राष्ट्रीय नेताओं ने जताया शोक
प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, और विभिन्न दलों के नेताओं ने शिबू सोरेन के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है। PM Narendra Modi ने ट्वीट कर कहा:
“शिबू सोरेन जी का जीवन सामाजिक न्याय और आदिवासी सशक्तिकरण के लिए समर्पित था। उनका योगदान हमेशा याद रहेगा।”
राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार
सरकार ने ऐलान किया है कि शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ उनके गृह जिले दुमका में किया जाएगा। झारखंड सरकार ने राज्य में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।
गुरुजी का जाना, एक युग का जाना है…
शिबू सोरेन सिर्फ एक राजनेता नहीं थे। वह झारखंड के जन-जन के दिल में बसते थे। उन्होंने आदिवासी समाज को एक आवाज दी, एक पहचान दी। उनका जाना सिर्फ एक नेता की मौत नहीं, बल्कि एक विचार की विदाई है।
“Guruji is no more, but his ideology and legacy will always inspire generations to come.”
🕯️ Rest in Peace, Dishom Guru.
झारखंड आपको हमेशा याद रखेगा।