Freedom Fighter Shyamu Charan Tubid (प्रकाश कुमार गुप्ता) : आज झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता जे. बी. तुबिद के स्वर्गीय पिता एवं स्वतंत्रता सेनानी श्यामू चरण तुबिद की स्मृति में आयोजित “दुल सुनुम रे” कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा एवं पूर्व सांसद सह प्रदेश प्रवक्ता गीता कोड़ा शामिल हुए। उन्होंने जे. बी. तुबिद के आवास पहुंचकर स्वर्गीय तुबिद के चित्र और स्मारक पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए और उनके योगदान को नमन किया।
इस अवसर पर कोड़ा दंपति ने कहा कि,
“हम आज एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं, जिन्होंने देश और समाज के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। श्यामू चरण तुबिद न सिर्फ एक सच्चे देशभक्त थे, बल्कि आदिवासी समाज के मूल्यों और संस्कारों के भी संरक्षक थे।”
उन्होंने विशेष रूप से ‘दुल सुनुम रे’ परंपरा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आदिवासी हो समाज की एक गहरी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा है।
“यह कार्यक्रम हमारे पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता का प्रतीक है। जब तक यह आयोजन नहीं होता, तब तक हमारे समाज में किसी भी शुभ कार्य — जैसे विवाह आदि — को आरंभ नहीं किया जाता। यह परंपरा हमारी पहचान है और इसे निभाना हम सभी की जिम्मेदारी है।”
उन्होंने यह भी बताया कि यह आयोजन विवाह के समान स्तर पर महत्त्वपूर्ण और खर्चीला होता है, लेकिन यह सामाजिक और आध्यात्मिक दायित्व है, जिसे निभाना हर हो परिवार के लिए आवश्यक है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गणमान्य लोग और कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से पूर्व प्रत्याशी गीता बालमुचू, भाजपा जिला अध्यक्ष संजू पांडे, नगर अध्यक्ष पवन शर्मा, वरिष्ठ नेता अनूप सुल्तानिया, जितेन्द्र नाथ ओझा, और सैकड़ों की संख्या में भाजपा कार्यकर्ता शामिल थे।
कार्यक्रम के दौरान हो समाज की संस्कृति, पूर्वजों की स्मृति, और पारंपरिक मूल्यों के संरक्षण का भाव स्पष्ट रूप से देखने को मिला। यह आयोजन केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं बल्कि आदिवासी अस्मिता और आत्म-सम्मान का प्रतीक बनकर सामने आया।
‘दुल सुनुम रे’ जैसे आयोजनों से युवा पीढ़ी भी अपने सांस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं से जुड़ती है, जिससे समाज में सामूहिकता, सम्मान और ऐतिहासिक चेतना को बल मिलता है।