शहीद निर्मल महतो: Jharkhand आंदोलन के अमर सेनानी की शौर्यगाथा
Jharkhand अस्मिता के प्रतीक और आजसू के संस्थापक की 8 अगस्त 1987 को हुई थी हत्या
Ranchi , 8 अगस्त 2025 — Jharkhand की माटी में जन्मे और अपनी मातृभूमि की पहचान के लिए प्राणों की आहुति देने वाले शहीद निर्मल महतो आज भी राज्य के कोने-कोने में प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। वे झारखंड आंदोलन के अग्रणी सेनानी, आजसू (झारखंड छात्र संघ) के संस्थापक और झारखंडी अस्मिता के अमिट प्रतीक थे।
8 अगस्त 1987 को जमशेदपुर के चमरिया गेस्ट हाउस में उनकी दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह घटना न केवल झारखंड आंदोलन के इतिहास में एक करुण मोड़ थी, बल्कि यह उस जनभावना पर आघात था, जो वर्षों से अलग राज्य की मांग को लेकर संघर्ष कर रही थी।
🔹 साजिश के तहत हुई निर्मम हत्या
निर्मल दा 7 अगस्त को कुछ अन्य नेताओं के साथ अवतार सिंह तारी के पारिवारिक कार्यक्रम में भाग लेने रांची से जमशेदपुर पहुंचे थे। 8 अगस्त की सुबह जब वे गेस्ट हाउस की सीढ़ियों से नीचे उतर रहे थे, तभी धीरेंद्र सिंह और वीरेंद्र सिंह ने उनके ऊपर जानलेवा हमला कर दिया।
तीन गोलियां लगने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई, जबकि नेता सूरज मंडल घायल हुए।
🔹 शहादत के बाद झारखंड बंद, आंदोलन और तेज
निर्मल महतो की शहादत की खबर जंगल की आग की तरह फैली और पूरे झारखंड में विरोध की लहर दौड़ पड़ी। तीन दिनों तक झारखंड बंद रहा, झामुमो और आजसू के कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया।
उनकी अंतिम यात्रा में एक लाख से अधिक लोग शामिल हुए और उन्हें जमशेदपुर के कदमा, उलियान में दफनाया गया। यह स्थल अब झारखंड संघर्ष का पवित्र तीर्थ बन चुका है।
🔹 न्याय की लंबी लड़ाई
हत्या के बाद तत्कालीन झामुमो नेता सूरज मंडल ने बिष्टुपुर थाना में एफआईआर दर्ज कराई। मामला सीबीआई को सौंपा गया।
मुख्य आरोपी धीरेंद्र सिंह, वीरेंद्र सिंह और नरेंद्र सिंह के खिलाफ जांच हुई। वर्षों बाद कुछ गिरफ्तारी हुईं, लेकिन न्याय की यह लड़ाई अभी भी लोगों के ज़ेहन में जिंदा है।
🔹 विचारों में जीवित हैं ‘निर्मल दा’
निर्मल महतो का सपना था एक अलग झारखंड राज्य, जिसमें आदिवासियों और मूलवासियों को उनके अधिकार मिलें। वे मानते थे कि जब छात्र और युवा जागेंगे, तभी बदलाव आएगा।
उनकी विचारधारा आज भी हजारों युवाओं को झारखंडी पहचान और अधिकारों के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देती है।
🔹 सरकार और जनता की श्रद्धांजलि
हर साल 8 अगस्त को उनकी शहादत दिवस पर बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने के लिए कदमा पहुंचते हैं।
इस वर्ष भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है, जिसमें झामुमो, आजसू सहित विभिन्न संगठनों के नेता और कार्यकर्ता शामिल होंगे।
🔹 नाम अमर, बलिदान अमर
निर्मल महतो के सम्मान में कई संस्थानों और स्थानों का नामकरण हुआ है, जैसे – शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज, डुमका।
उनका नाम अब झारखंड के संघर्ष, बलिदान और आत्मसम्मान का पर्याय बन चुका है।