Ravindra Bal Sanskar School Anniversary (प्रकाश कुमार गुप्ता) : असुरा गांव स्थित रविन्द्र बाल संस्कार स्कूल ने बड़े ही हर्षोल्लास एवं सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रमों के साथ अपना 9वां स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर विद्यालय परिसर में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं के साथ-साथ बड़ी संख्या में अभिभावक, गणमान्य अतिथि और क्षेत्र के शिक्षाविद् शामिल हुए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुचाई प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) साधुचरण देवगम ने बच्चों को प्रेरणादायक संदेश देते हुए कहा, “जैसे आसमान में उड़ने वाले गुब्बारे में हीलियम गैस होती है, ठीक वैसे ही आप सबके अंदर भी ज्ञान रूपी हीलियम भरने की आवश्यकता है। तभी आप भी बुलंदियों को छू पाएंगे।” उन्होंने शिक्षकों की भूमिका को सराहते हुए कहा कि एक अच्छा शिक्षक बच्चों के भविष्य की नींव मजबूत करता है।
हो बैंकर्स एसोसिएशन के अधिकारी सुखदेव बारी ने कहा कि आज के दौर में पढ़ाई के साथ-साथ व्यवसायिक सोच भी जरूरी है। बच्चों को व्यापार की दुनिया की भी समझ होनी चाहिए ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। वहीं, बैंक अधिकारी डिबर हेंब्रम ने ग्रामीण इलाकों में शैक्षिक माहौल की आवश्यकता पर बल देते हुए अभिभावकों से आग्रह किया कि वे बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करें और शिक्षा को प्राथमिकता दें।
बिरुवा टेक के रामेश्वर बिरूवा ने अपने संबोधन में कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को बिजनेस की ओर भी प्रेरित किया जाना चाहिए ताकि वे भविष्य में किसी के आश्रित न रहकर स्वयं अपने लिए अवसर सृजित कर सकें। कोल्हान मॉडल पब्लिक स्कूल बासाकुटी के अधिकारी सिंगा तियू ने अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों के होमवर्क और स्कूल के पाठ्यक्रम पर घर में भी नजर रखें, ताकि बच्चों की पढ़ाई में निरंतरता बनी रहे।

स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों जरूरी
डॉ. दिनेश चंद्र सवैयां ने बच्चों को स्वास्थ्य के महत्व को बताते हुए कहा कि “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।” उन्होंने बच्चों को हरी सब्जियां और पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी ताकि वे तन-मन से स्वस्थ रह सकें और पढ़ाई में मन लगा सकें।
स्कूल की स्थापना और उद्देश्य पर शिक्षिका जमुना बिरुवा ने प्रकाश डालते हुए बताया कि “इस स्कूल की स्थापना 12 अप्रैल 2016 को हुई थी। शुरुआत में सोहराय नामक व्यक्ति ने बिना किसी किराए के एक टाली वाले घर में स्कूल चलाने की अनुमति दी थी। स्कूल का उद्देश्य है कि गरीब से गरीब और अमीर से अमीर सभी बच्चों को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।” उन्होंने आगे बताया कि अगर किसी अभिभावक को समय पर फीस देने में दिक्कत हो तो स्कूल उन्हें 5 से 6 महीने की किश्तों में फीस जमा करने की सुविधा देता है।
विद्यालय के निदेशक सिकन्दर बुड़ीउली ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कहा कि नए सत्र 2025-26 से विद्यालय में कई सकारात्मक बदलाव किए जाएंगे। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे स्कूल से नियमित संपर्क में रहें और बच्चों को घर पर पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करें। साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि स्कूल प्रबंधन हर समस्या का समाधान कर बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराएगा।
खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बढ़ाई शोभा
कार्यक्रम में कई प्रकार के खेलों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। प्रतियोगिताओं में जीतने वाले बच्चों को अतिथियों द्वारा पुरस्कार प्रदान किए गए। इससे बच्चों में उत्साह का माहौल बना रहा।
कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर दिलदार पुरती, हो कवि सोनू हेस्सा, हो भाषा विशेषज्ञ जगन्नाथ हेस्सा, केएमपीएस के अध्यक्ष चंद्रमोहन बिरुवा, स्कूल के संस्थापक सुरजा बुड़ीउली, हो राइटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जवारलाल बांकिरा, हो महासभा के अधिकारी छोटेलाल तामसोय, हो साहित्यकार तिलक बारी और स्कूल के सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं मौजूद रहे।
रविन्द्र बाल संस्कार स्कूल का यह 9वां स्थापना दिवस केवल एक जश्न नहीं, बल्कि ग्रामीण शिक्षा, आत्मनिर्भरता, स्वास्थ्य और सामाजिक समरसता का एक सशक्त संदेश बन कर उभरा। इस कार्यक्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि सच्ची नीयत और प्रयास हो, तो शिक्षा की लौ ग्रामीण अंधेरे को भी रोशन कर सकती है।