»वीथिका मंडल
Sunil Kumar Dey : हमारे पूरे झारखंड में एक ऐसे छिपे हुए गौरव और रत्न है जिनके गुणों का वर्णन एक छोटी सी पन्ने में बताने का अर्थ सागर के जल को एक लोटा में नापने के बराबर है।
कवि,साहित्यिक, समाज सेवी,जनकल्याण ,समाज निर्माण में निरंतर प्रयासरत कर्मयोगी ,बहुमुखी प्रतिभाओं में समृद्धशाली है। राम कृष्ण, मां शारदा देवी के परम प्रिय भक्त एवं स्वामी विवेकानंद के आदर्श पुरुष है। अपने संपूर्ण जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित किए हुए हैं।पोटका और राजनगर क्षेत्र के रक्तदान के जनक से जाने जाते हैं।देखा जाए तो पूरे कोल्हान में रक्तदान शिविरों का आयोजन एवं रक्तदानियो के प्रति प्रेरणा, प्रोत्साहन जगाने का श्रेय ” श्री दे” को दिया जाता है।
समाज के वास्तविक छवि को अपनी लेखनी के माध्यम से जन जागरण, जनकल्याण का काम करते आ रहे हैं।साथ ही साथ अंधविश्वास, कु -प्रथा, कु- रीति का विरोध तथा सभी धर्म को समरूप से देखने की बात ,सम्मान देने की बात उनके हर प्रसंग में है। अभी तक साहित्यिक दुनिया में 34 पुस्तक के लिखकर इतिहास रचे हैं,हाल ही में प्रकाशित उनके तीन धार्मिक और ऐतिहासिक पुस्तके कपड़ा गादी घातेर रंकणी मां, युगपुरुष विनय दास बाबा जी,महा तीर्थ मुक्तेश्वर धाम लिखकर और जनप्रिय हो चुके हैं।
झारखंड में बांग्ला भाषा की स्कूल विलुप्तप्राय है,विगत एक साल से बांग्ला भाषा से शिक्षा के अलख जगाने का काम गांव-गांव में अपूरपाठशाला नाम से स्कूल खोल रहे हैं जो की निशुल्क शिक्षा व्यवस्था है। मातृभाषा के पुनर्जागरण हेतु विभिन्न मंच,अनुष्ठान सरकारी विद्यालय वे सरकारी विद्यालय,में उनकी आवाहन और निरंतर प्रयास है कि ‘अपनी मातृभाषा सीखो और सिखाओ ‘साथ ही साथ नैतिक शिक्षा और चरित्र निर्माण पर भी बोल देते आ रहे हैं।
विभिन्न क्षेत्र में समाज के प्रति अपरीसिम योगदान के कारण उन्हें विभिन्न संस्थाओं द्वारा अभी तक 45 से भी ज्यादा उपाधि देकर सम्मानित किया गया है।
श्री दे पद्मा श्री पुरस्कार के हकदार है यह बात कई सारे गुनीजनों के विचारों और आवे दन द्वारा निकल कर आ रही है।
मेरे विचार से भी इन महान विभूति को पद्मश्री पुरस्कार मिलना चाहिए।