Tribal Multilingual Education Jharkhand (प्रकाश कुमार गुप्ता) : झारखंड के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले जनजातीय बच्चों के लिए एक नई पहल शुरू की जा रही है, जिसके अंतर्गत वे बहुभाषी शिक्षा प्राप्त करेंगे। इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनकी मातृभाषा के साथ-साथ हिंदी में भी शिक्षा प्रदान करना है, जिससे उनकी ज्ञानवृद्धि में वृद्धि हो सके। इसके लिए विभिन्न जनजातीय भाषाओं में शब्द, वाक्य, कहानी और कविताओं का निर्माण किया जा रहा है।
झारखंड के पांच प्रमुख जनजातीय भाषाओं – संताल, मुंडारी, कुड़ुख, खड़िया और हो के बच्चों के लिए उनकी संबंधित भाषाओं में रोचक कहानियां और कविताएं लिखी जा रही हैं। इन भाषाओं के लिए विशेष रूप से शिक्षकों को जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो बच्चों के लिए इन भाषा आधारित सामग्री का निर्माण करेंगे।
झारखंड शैक्षिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान परिषद, रांची ने हो भाषा के बच्चों के लिए कहानी और कविता लेखन की जिम्मेदारी शिक्षक कृष्णा देवगम, राजेश सिंकू, हरिश्चंद्र लागुरी, विद्यासागर लागुरी, दमयंती बिरूवा और विनिता कुमारी गोप को सौंपी है। इन शिक्षकों ने अपनी मेहनत और रचनात्मकता से बच्चों के लिए दिलचस्प और प्रभावशाली सामग्री तैयार करने का काम शुरू कर दिया है।
इसके साथ ही, इन कहानियों और कविताओं के साथ जुड़े चित्र बनाने का कार्य मंगल सिंह मुंडा द्वारा किया जा रहा है, जो बच्चों की कल्पनाशक्ति को बढ़ाने में मदद करेगा। चित्रकला के माध्यम से इन बच्चों को सीखने में और भी मजा आएगा।
यह पहल बच्चों को न केवल अपनी मातृभाषाओं के प्रति प्यार और सम्मान विकसित करने में मदद करेगी, बल्कि उन्हें हिंदी भाषा में भी सशक्त बनाएगी। यह योजना झारखंड के शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, जो बच्चों के समग्र विकास में सहायक होगी।