देवघर, झारखंड का प्रसिद्ध बाबा बैद्यनाथ धाम, एक बार फिर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का गवाह बना है। देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक इस पवित्र स्थल पर हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। यह धाम अपनी मान्यताओं के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जिसे ‘मनोकामना लिंग’ भी कहा जाता है।
दान पात्रों में 15 लाख से अधिक की राशि का चढ़ावा
27 नवंबर को बाबा बैद्यनाथ मंदिर के 18 दान पात्रों को खोला गया। प्रशासन की देखरेख में इन पात्रों में जमा चढ़ावे की गिनती की गई। गिनती के बाद यह सामने आया कि मंदिर में कुल 15,92,890 रुपये का चढ़ावा चढ़ाया गया है। इसके साथ ही दान पात्रों से 1918 का एक चांदी का सिक्का, 40 कैनेडियन डॉलर, 10 भूटानी करेंसी, 8 अमेरिकी डॉलर और 1,060 नेपाली रुपये भी मिले।
गिनती प्रक्रिया और सुरक्षा व्यवस्था
दान पात्रों की गिनती प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ हुई। प्रशासन, मजिस्ट्रेट और पुलिस कर्मियों की उपस्थिति में दान पात्रों को खोला गया। साथ ही गिनती की प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई। दान की संख्या काफी अधिक होने के कारण मंदिर के कर्मियों को गिनती में लगाया गया।
सावन में सबसे अधिक चढ़ावा
बाबा बैद्यनाथ धाम में चढ़ावा सबसे अधिक सावन के महीने में आता है। इस साल सावन के दौरान मंदिर को लगभग 10 करोड़ रुपये का चढ़ावा प्राप्त हुआ। यह चढ़ावा देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की श्रद्धा का प्रतीक है।
मंदिर की अनूठी परंपराएं और महत्व
बाबा बैद्यनाथ धाम की परंपराएं इसे अन्य ज्योतिर्लिंगों से अलग बनाती हैं। जहां अन्य ज्योतिर्लिंगों पर भगवान शंकर के पास त्रिशूल होता है, वहीं यहां मंदिर के शिखर पर पंचशूल विराजमान है। इसे धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
मंदिर प्रशासन ने जताया आभार
मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की भक्ति और योगदान के लिए आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि इस चढ़ावे का उपयोग मंदिर के रखरखाव, सुविधाओं में सुधार और जरूरतमंदों की मदद के लिए किया जाएगा।