Bagbera Rural Water Supply Scheme : बागबेड़ा, किताड़ीह, घाघीडीह और करनडीह के गांवों के लोग पिछले 11 वर्षों से साफ पीने के पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना के लिए निधि और वादे किए गए थे। यह योजना, जिसे शुरू में एक बड़ी राहत के रूप में देखा गया था, अब भ्रष्टाचार और लापरवाही का शिकार हो चुकी है, और जनता की उम्मीदें टूट चुकी हैं।
बागबेड़ा महानगर विकास समिति, जिसके अध्यक्ष सुबोध झा हैं, ने 2005 से ही इस योजना को लागू करने के लिए विभिन्न आंदोलन किए हैं। अब तक समिति ने 598 बार प्रदर्शन, धरना, भूख हड़ताल, रेल और सड़क जाम, मसाल जुलूस और पदयात्राएं की हैं, फिर भी योजना धरातल पर नहीं उतरी।
वादे जो कभी पूरे नहीं हुए
2015 में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना का शिलान्यास किया था, और 2018 तक हर घर में पानी पहुंचाने का वादा किया गया था। लेकिन न तो घरों तक पाइपलाइन पहुंची, न ही जलापूर्ति के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए। इसके बावजूद, नागरिकों से पानी कनेक्शन के लिए ₹450 (जनरल वर्ग) और ₹225 (एसटी/एससी वर्ग) शुल्क लिया गया, और कुल मिलाकर ₹4.5 करोड़ से अधिक की राशि जमा की गई। फिर भी जनता को एक बूंद पानी भी नहीं मिला।
झारखंड सरकार ने 237 करोड़ रुपए की योजना स्वीकृत की थी, जिसमें से केंद्र सरकार, राज्य सरकार और विश्व बैंक ने मिलकर राशि उपलब्ध कराई थी। हालांकि, यह राशि जनता के हित में इस्तेमाल नहीं हुई और योजना का निर्माण आधा-अधूरा ही रहा।
वर्तमान संकट
अभी भी बागबेड़ा, किताड़ीह और अन्य गांवों को पानी टैंकरों के माध्यम से दिया जा रहा है, जो इनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है। 2,25,000 से अधिक लोग जल संकट से जूझ रहे हैं। बागबेड़ा हाउसिंग कॉलोनी के जल Filtration प्लांट का निर्माण भी अधूरा पड़ा है, और आवश्यक सुरक्षा उपायों की भी अनदेखी की जा रही है।
सुबोध झा और उनकी समिति ने इस मुद्दे को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, लेकिन 19 महीने बीत जाने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। न्यायिक प्रणाली से भी जनता का विश्वास उठता जा रहा है।
जन आंदोलन: 11 जनवरी को एक दिवसीय धरना
इस असंतोष को देखते हुए, बागबेड़ा महानगर विकास समिति ने 11 जनवरी 2025 को बागबेड़ा के रामनगर बड़ा बजरंगबली हनुमान मंदिर के पास एकदिवसीय धरने का आयोजन किया है। इस प्रदर्शन के माध्यम से समिति का उद्देश्य सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग करना है, ताकि जलापूर्ति योजनाओं को जल्द पूरा किया जा सके और भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
सुबोध झा ने कहा, “हम किसी पर तरस नहीं खा रहे हैं, बल्कि यह हमारा बुनियादी अधिकार है। बागबेड़ा, किताड़ीह, घाघीडीह और करनडीह के लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। हम तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक यह मुद्दा हल नहीं हो जाता।”
सरकार और न्यायपालिका से अपील
बागबेड़ा के नागरिकों ने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और अन्य उच्च अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे इस मामले में संज्ञान लें और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि सूचना के अधिकार के तहत योजना से संबंधित सभी जानकारी जनता को दी जाए।
इसके अलावा, जनता की मांग है कि पाइपलाइन का काम जल्द पूरा किया जाए और जल Filtration प्लांट को सुरक्षित तरीके से स्थापित किया जाए, ताकि बागबेड़ा के लोगों को शुद्ध पानी मिल सके।
बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना, जो हजारों ग्रामीणों के जीवन में सुधार लाने के लिए बनाई गई थी, अब भ्रष्टाचार और लापरवाही का प्रतीक बन गई है। बागबेड़ा की जनता की उम्मीदें अब भी बनी हुई हैं कि उनके आंदोलन से सरकार और संबंधित अधिकारी उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे। आगामी धरना 11 जनवरी को एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जो यह तय करेगा कि जलापूर्ति योजना का भविष्य क्या होगा।
इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए मीडिया, सरकार और न्यायपालिका की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। बागबेड़ा के लोग अब भी उम्मीद करते हैं कि उन्हें जलापूर्ति योजना के तहत वादा किया गया पानी मिलेगा।