Maharana Pratap Jayanti 2025 (प्रकाश कुमार गुप्ता) : वीरता, स्वाभिमान और मातृभूमि के प्रति अगाध प्रेम का प्रतीक रहे महान योद्धा महाराणा प्रताप की 485वीं जयंती के अवसर पर मारवाड़ी युवा मंच, चाईबासा जागृति शाखा द्वारा स्थानीय शंभू मंदिर परिसर में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन न केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि समाज में बेटियों को आत्मनिर्भर और साहसी बनाने की दिशा में एक प्रेरक कदम भी सिद्ध हुआ।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण दुर्गा वाहिनी चाईबासा की बहादुर बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत तलवारबाजी एवं युद्ध कौशल प्रदर्शन रहा, जिसने उपस्थित जनसमूह को महाराणा प्रताप की गौरवगाथा की जीवंत झलक दी। इन छात्राओं ने अपनी दक्षता से यह सिद्ध कर दिया कि भारत की बेटियां आज भी रानी लक्ष्मीबाई की परंपरा को जीवित रखे हुए हैं।
इस अवसर पर चाईबासा जागृति शाखा की अध्यक्ष श्रीमती चंदा अग्रवाल ने कहा,
> “आज के युग में हम अपने जीवन की व्यस्तताओं में अपने पूर्वजों के त्याग, बलिदान और वीरता को भूलते जा रहे हैं। आवश्यकता है कि हम अगली पीढ़ी को उनके गौरवशाली इतिहास से परिचित कराएं, ताकि उनमें देशभक्ति, आत्मबल और आत्मगौरव का भाव विकसित हो सके।”
उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि कठिन से कठिन परिस्थिति में भी मातृभूमि की रक्षा से बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता।
कार्यक्रम में बजरंग दल के महामंत्री एवं दुर्गा वाहिनी के प्रशिक्षक श्री अंकित कुमार साह ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा,
> “बेटियों को बस एक उचित मंच, प्रशिक्षण और संबल की आवश्यकता है। वे हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा सकती हैं। मैं मारवाड़ी युवा मंच का आभारी हूं कि उन्होंने हमें इस ऐतिहासिक अवसर पर आमंत्रित किया।”
इस गौरवशाली आयोजन को सफल बनाने में रिंकी अग्रवाल, राधा भूत, ममता बुधिया, सुमन शराफ जैसी जागरूक महिलाओं का विशेष योगदान रहा। इनके सतत प्रयासों से यह कार्यक्रम सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक जागरूकता का प्रतीक बन गया।
वहीं, दुर्गा वाहिनी और बजरंग दल से सरिता यादव, रवि शर्मा, ललित साव, वंदना समेत बड़ी संख्या में प्रशिक्षु छात्राएं एवं सदस्य उपस्थित थे, जिनकी मौजूदगी ने आयोजन को और भी प्रभावशाली बना दिया।
इतिहास की जीवंत झलक और प्रेरणा का स्रोत
महाराणा प्रताप केवल एक योद्धा नहीं, बल्कि स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता के प्रतीक थे। उन्होंने अपने जीवन में अपार संघर्षों का सामना करते हुए कभी भी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की। हल्दीघाटी का युद्ध, उनका अद्भुत धैर्य और युद्ध नीति आज भी युवाओं को प्रेरित करती है। ऐसे महापुरुष की जयंती पर आयोजित यह समारोह हमें अपने गौरवशाली अतीत की स्मृति दिलाता है और भविष्य को सशक्त बनाने की प्रेरणा देता है।
इस आयोजन के माध्यम से न केवल इतिहास को सम्मान मिला, बल्कि नारी सशक्तिकरण, आत्मरक्षा और देशभक्ति के भावों का प्रसार भी हुआ। चाईबासा की यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरक उदाहरण बनकर उभरी है।