“दो वर्षों से पेंशन से वंचित अस्सी पार वृद्धा, भुखमरी की कगार पर – सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल”
बांधडीह (Potka)। हाथीबिंधा पंचायत के बांधडीह गांव की 80 वर्षीया जीतन कालिंदी, जिनका पेंशन स्वीकृति वर्ष 2014 में हुआ था, बीते दो वर्षों से पेंशन राशि से वंचित हैं। विधवा और अत्यंत गरीब जीतन कालिंदी की स्थिति आज भुखमरी के कगार पर पहुँच चुकी है। वृद्धावस्था और असहायता के बावजूद उन्हें जीविका के लिए गांव में मजदूरी करनी पड़ रही है।
यह मामला सरकार द्वारा चलाई जा रही सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, जैसे कि “मईया सम्मान” योजना और साप्ताहिक प्रखंड दिवस कार्यक्रमों के प्रभावशीलता पर सवाल खड़ा करता है। जिला प्रशासन की सक्रियता के बावजूद निचले स्तर की व्यवस्था की लापरवाही और सूचना के अभाव के कारण ऐसी पीड़ादायक स्थितियाँ सामने आ रही हैं।
समाज सेवा में रुचि रखने वाले पिंटू मंडल ने जब जीतन कालिंदी की स्थिति देखी, तो उन्होंने तत्परता दिखाते हुए इस बात की जानकारी पूर्व जिला पार्षद करुणामय मंडल को दी। श्री मंडल ने तुरंत पहल करते हुए आश्वासन दिया कि वे बुधवार को जिला सामाजिक सुरक्षा कार्यालय जाकर इस समस्या का समाधान कराएंगे।
ऐसी ही एक अन्य पीड़ादायक स्थिति चांदपुर पंचायत के भैरव चंद्र दास की है, जिन्हें पिछले एक साल से पेंशन नहीं मिल रही है। निराश होकर उन्होंने भी पूर्व पार्षद करुणामय मंडल से संपर्क किया। श्री मंडल ने उन्हें भी आवश्यक सहायता का आश्वासन दिया है।
पूर्व पार्षद ने कहा, “जब तक पंचायती राज व्यवस्था पूरी तरह दुरुस्त नहीं हो जाती, तब तक जनता को इस प्रकार की छोटी-छोटी समस्याओं के लिए भी भटकना पड़ेगा।”
यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक तंत्र की कमी को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आम नागरिक और पड़ोसी अगर जागरूक हों तो समस्याओं का समाधान संभव है।