Dr. B.R. Ambedkar Jayanti Chaibasa (प्रकाश कुमार गुप्ता) : चाईबासा के तांबो चौक पर आज डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती बड़े ही श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई। इस आयोजन का नेतृत्व विभिन्न सामाजिक संगठनों ने मिलकर किया, जहां समाज के विभिन्न वर्गों के लोग भारी संख्या में उपस्थित होकर बाबा साहेब को याद करने पहुंचे। कार्यक्रम की शुरुआत बाबा साहेब के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई, जिसे सभी प्रमुख अतिथियों ने पारंपरिक रीति से माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी।
इस अवसर पर डॉ. अंबेडकर के साथ-साथ भारतीय समाज में ऐतिहासिक परिवर्तन लाने वाले अन्य महापुरुषों जैसे वीर शहीद बिरसा मुंडा, महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, पेरियार ई.वी. रामासामी और मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के चित्र भी मंच पर लगाए गए। इन सभी महान विभूतियों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उनके योगदानों को याद किया गया।
डॉ. अंबेडकर के संघर्षों और योगदान पर वक्ताओं ने रखे विचार
कार्यक्रम में उपस्थित लगभग सभी वक्ताओं ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रारंभिक जीवन में अनुभव की गई सामाजिक भेदभाव और छुआछूत की घटनाओं पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने बताया कि किस प्रकार बाबा साहेब ने अपने व्यक्तिगत संघर्षों के अनुभव को सामाजिक क्रांति में बदलते हुए संविधान निर्माण में ऐतिहासिक भूमिका निभाई।
संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ. अंबेडकर ने न केवल सामाजिक समानता का मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान कर उन्हें सशक्तिकरण का अधिकार दिलाया। वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि आज देश में जो भी सामाजिक जागरूकता और बदलाव देखने को मिल रहा है, उसका श्रेय बाबा साहेब की दूरदृष्टि और संवैधानिक सोच को ही जाता है।

बहुजन समाज को बाबा साहेब के विचारों को आत्मसात करने की अपील
वक्ताओं ने यह भी कहा कि आज के दौर में बहुजन समाज को डॉ. अंबेडकर के विचारों को आत्मसात करने और सामाजिक एकता की भावना को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अगर हम बाबा साहेब की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारें, तो एक समतामूलक और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना संभव है।
मुख्य वक्ता और संगठन
इस अवसर पर डॉ. अंबेडकर की जीवनी और उनके कार्यों पर प्रकाश डालने वालों में झारखंड पुनरुत्थान अभियान के मुख्य संयोजक सन्नी सिंकु, सामाजिक कार्यकर्ता सुभद्रा बिरुआ, आंबेडकरवादी विचारक सागर सिंकु, अधिवक्ता महेंद्र जमुदा, मानवाधिकार संगठन के बसंत महतो, डोबरो बिरुली, रियांस सामाड, हो समाज महासभा के उपाध्यक्ष बामिया बारी, खूंटकट्टी रैयत रक्षा समिति की अध्यक्षा बलभद्र सवैया सहित अनेक वक्ता शामिल थे।
कार्यक्रम का संयोजन बासिल हेंब्रम और संचालन साधो देवगम ने किया।
कार्यक्रम में कोल्हान पोड़ाहाट क्षेत्र के विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधि, बुद्धिजीवी वर्ग और युवाओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया, जिससे यह आयोजन एक सामाजिक चेतना का केंद्र बन गया।
निष्कर्ष:
डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर आयोजित यह कार्यक्रम न केवल उन्हें श्रद्धांजलि देने का अवसर बना, बल्कि सामाजिक समरसता, समानता और अधिकारों के प्रति जनचेतना फैलाने का एक प्रभावशाली माध्यम भी सिद्ध हुआ। यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों को बाबा साहेब के आदर्शों पर चलने की प्रेरणा देता रहेगा।