जमशेदपुर में जल स्रोतों पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में नगर निगम और नगर पालिका के अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें झारखंड नगर पालिका अधिनियम 2011 और झारखंड भवन निर्माण उपविधि 2016 के तहत समयबद्ध कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया।
अवैध कब्जों पर सख्त निर्देश
परियोजना निदेशक ने अवैध जमाबंदी और जल स्रोत की भूमि पर हुए कब्जों को हटाने के लिए कड़े निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा, “जल स्रोतों की भूमि पर अवैध कब्जा शहरी जल आपूर्ति के लिए गंभीर खतरा है और इसे सख्ती से रोका जाएगा।”
टास्क फोर्स को निर्देश दिया गया है कि अवैध कब्जाधारियों को तत्काल हटाया जाए और बिना अनुमति की गई रजिस्ट्रियों को रद्द किया जाए।
प्रदूषण रोकने पर जोर
बैठक में शहरी जल स्रोतों में प्रदूषण की समस्या पर भी चर्चा हुई। यह साफ किया गया कि जल स्रोतों में ठोस या तरल कचरा फेंकना झारखंड नगर पालिका अधिनियम 2011 के तहत दंडनीय अपराध है। ऐसे मामलों में कड़ी सजा और जुर्माने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। नगर निकायों को निगरानी बढ़ाने और इन उल्लंघनों को रोकने के लिए निर्देशित किया गया।
जल स्रोतों का पुनरुद्धार और विस्तार
जिन जल स्रोतों का स्तर घट रहा है, उन्हें पुनर्जीवित करने और उनके आस-पास की निजी भूमि का अधिग्रहण कर संग्रहण क्षमता बढ़ाने पर भी विचार किया गया। इसके लिए अधिकारियों को भूमि अधिग्रहण की लागत का आकलन कर झारखंड शहरी विकास और आवास विभाग को एक रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया।
अतिक्रमण मुक्त क्षेत्र की पहचान और निगरानी
बैठक में यह भी तय किया गया कि जल स्रोतों के आसपास अतिक्रमण मुक्त क्षेत्रों को चिह्नित किया जाएगा, जिससे भविष्य में अतिक्रमण की पहचान आसानी से हो सके। साथ ही, इन क्षेत्रों की नियमित निगरानी के लिए एक स्थायी तंत्र स्थापित करने पर सहमति बनी।
प्रमुख अधिकारी रहे मौजूद
इस बैठक में जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (जेएनएसी) के उप नगर आयुक्त कृष्ण कुमार, मानगो नगर निगम के प्रतिनिधि सुरेश यादव, कानून शाखा के प्रभारी कार्यकारी मजिस्ट्रेट, चाकुलिया नगर पंचायत और जुगसलाई नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी सहित कई प्रमुख अधिकारी उपस्थित थे।
समुदाय की भागीदारी पर बल
बैठक में तय कदम शहर के जल स्रोतों के संरक्षण और स्वच्छ पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में एक सामूहिक प्रयास का हिस्सा हैं। इसमें सख्त कानूनी प्रवर्तन, आधारभूत संरचना की योजना और समुदाय की भागीदारी को प्राथमिकता दी गई है।