Tata Steel Grade Revision : टाटा स्टील के कर्मचारियों को ग्रेड रिवीजन समझौते के लिए और इंतजार करना होगा। वैश्विक मंदी और चीन से आयातित सस्ते स्टील के कारण टाटा स्टील सहित पूरी स्टील इंडस्ट्री संकट के दौर से गुजर रही है। ऐसे में टाटा वर्कर्स यूनियन ने फिलहाल ग्रेड रिवीजन पर बातचीत से परहेज करने का निर्णय लिया है।
यूनियन का तर्क: अभी समझौता नहीं है फायदेमंद
टाटा वर्कर्स यूनियन का मानना है कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में समझौता करने से कर्मचारियों को पूर्व के समझौतों की तरह लाभ नहीं मिल सकेगा। यूनियन ने इस मुद्दे पर जल्दबाजी से बचने और बेहतर समय का इंतजार करने का फैसला किया है।
पिछले समझौतों का रिकॉर्ड
पिछला ग्रेड रिवीजन समझौता 23 सितंबर 2019 को तत्कालीन यूनियन अध्यक्ष आर. रवि प्रसाद की टीम ने 21 महीने की देरी के बाद किया था। इससे पहले 2012 में तत्कालीन अध्यक्ष पीएन सिंह के कार्यकाल में समझौता हुआ था। दोनों समझौतों में डेढ़ से दो साल की देरी देखी गई थी।
2019 के समझौते के तहत कर्मचारियों के वेतन में अच्छी वृद्धि हुई थी। स्टील वेज के सीटीसी में 85% और न्यू सीरीज के सीटीसी में 92% की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। इसके अलावा, कर्मचारियों के लिए कई नए भत्ते जोड़े गए थे।
मौजूदा स्थिति
2019 में हुए सात वर्षीय समझौते की मियाद 31 दिसंबर 2024 को खत्म हो चुकी है। इसके तहत कर्मचारियों को दिसंबर 2019 तक येरिएबल डीए मिला, लेकिन जनवरी 2020 से डीए 20 स्पैन के बाद अंतिम बेसिक के अनुसार तय हो रहा है।
आगे की राह चुनौतीपूर्ण
चीन से सस्ते स्टील का बढ़ता आयात और वैश्विक मंदी टाटा स्टील की उत्पादन लागत और लाभ में कमी ला रही है। ऐसे में यूनियन और प्रबंधन दोनों के सामने ग्रेड रिवीजन को लेकर सहमति बनाना बड़ी चुनौती है।
कर्मचारियों की उम्मीदें बरकरार
टाटा स्टील के कर्मचारी यूनियन और प्रबंधन से यह उम्मीद कर रहे हैं कि सही समय पर उनके हित में एक संतोषजनक समझौता किया जाएगा। फिलहाल, आर्थिक परिस्थितियां सुधरने के बाद ही ग्रेड रिवीजन पर कोई निर्णय लिया जा सकेगा।