Kolhan University protest (प्रकाश कुमार गुप्ता) : कोल्हान विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पीजी डिपार्टमेंट के इतिहास विषय के छात्रों के इंटर्नल मार्क्स में की गई गड़बड़ी के खिलाफ बुधवार को छात्र-छात्राओं, छात्र संघ नेताओं और कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने परीक्षा नियंत्रक कार्यालय का घेराव किया और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों के आक्रोश का कारण यह था कि इतिहास विषय के लगभग सौ से अधिक विद्यार्थियों के इंटर्नल मार्क्स में अनियमितताएँ पाई गईं। इनमें से कुछ छात्रों को तो जीरो मार्क्स भी दिए गए थे, जबकि अन्य को बहुत ही कम अंक दिए गए थे।
आंदोलनरत छात्रों का कहना था कि इस प्रकार की गड़बड़ी उनके साथ न केवल अन्याय है, बल्कि यह उनके भविष्य के लिए भी खतरे की घंटी है। छात्रों ने आरोप लगाया कि इतिहास विषय के कुल डेढ़ सौ छात्रों में से सौ से अधिक छात्रों के इंटर्नल मार्क्स में गंभीर गड़बड़ी की गई है, जो विद्यार्थियों के साथ घिनौना मजाक है। छात्रों ने इस मामले के समाधान की दिशा में विश्वविद्यालय प्रशासन से तत्काल लिखित आश्वासन की मांग की।
विरोध प्रदर्शन में छात्रों ने परीक्षा नियंत्रक कार्यालय के मुख्य द्वार पर धरना शुरू कर दिया और विश्वविद्यालय प्रशासन से अविलंब इस मुद्दे का समाधान करने की जिद्द पर अड़ गए। छात्रों का कहना था कि इससे पहले भी छात्र संघ के नेताओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन का ध्यान इस मामले की ओर आकर्षित किया था, लेकिन प्रशासन की सुस्त प्रतिक्रिया के कारण छात्रों का गुस्सा बढ़ गया और उन्होंने खुलकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

आंदोलन में कांग्रेस जिलाध्यक्ष चन्द्रशेखर दास, झामुमो सह छात्र नेता मंजीत हांसदा, युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रीतम बांकिरा, कांग्रेस जिला प्रवक्ता त्रिशानु राय, एनएसयूआई जिला उपाध्यक्ष अनिश गोप, कांग्रेस जिला महासचिव रविन्द्र बिरुवा, छात्र नेता मंगल खंडाईत, शांति तामसोय, अमित, अजय, राज कुमार, किशोर, सुभम सुंडी, गुलशन सहित कई छात्र-छात्राएँ शामिल थे।
इस बढ़ते आक्रोश को देखकर ओएसडी धर्मेंद्र रजक ने आंदोलनरत छात्रों से वार्ता की और उन्हें आश्वस्त किया कि यह मामला कोल्हान विश्वविद्यालय के संज्ञान में आया है और विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी जांच शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि इस समस्या का समाधान अगले एक सप्ताह के अंदर कर लिया जाएगा। छात्रों ने इस आश्वासन के बाद धरना समाप्त करने का निर्णय लिया, लेकिन वे प्रशासन से जल्द समाधान की उम्मीद कर रहे हैं।
इस विरोध प्रदर्शन ने विश्वविद्यालय प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं, और अब यह देखना होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस मुद्दे को शीघ्र सुलझाने के लिए कितनी गंभीरता से कार्य करता है।